Book Title: Enjoy Jainism
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 23
________________ ain Education International ज्ञानोपासना... ज्ञान दिव्य प्रकाश हैं, अज्ञान घोर अंधकार हैं। विनय, शांति और एकाग्रता से पढ़ना । पढ़ा हुआ भुलना नहिं, नया-नया पढ़ते रहना और ज्ञान बढ़ाना। शिक्षक का बहुमान करना, पाठशाला नियमित जाना। अगर आप विद्यार्थी हो तो ??? फैशन और व्यसन से दूर रहो ! शुद्ध उच्चारण करना, स्वच्छ अक्षर पढना और अच्छा व्यवहार करना। दर्शनोपासना.... वीतराग परमात्मा पर श्रद्धा रखो.. साधुपुरुषो के प्रति आदरभाव रखो... संघ शासन प्रति वफादारी रखो.. निंदा मत करो। मैं तीर्थयात्रा, रक्षा, वास करूंगा। मैं गुरुसेवा, भक्ति उपासना करूंगा। साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका इन चतुर्विघ संघ की सुखशांती के सदैव जागृत रहूंगा। इस प्रकार दर्शनोपासन करने से दर्शनावरण कर्म कम होता है। चारित्रोपासना... कोइ भले क्रोध करे, तुम क्षमा रखना, अभिमान करे, तुम नम्र रहना, कपट करे, तुम सरल रहना. लोभ करे, तुम उदार बनना । सामायिक करना, पौषध करना, श्रमणधर्म का स्वीकार करान । इस प्रकार चारित्रोपासना करने से मोहनीय कर्म कम होता हैं। For Priva 13

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