Book Title: Enjoy Jainism
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 41
________________ जीवन एक युद्ध है, और उसमें विजयी बनने के लिए साहस एक अमोघ अस्त्र है। दुर्बल और भीरु मानव कभी भी प्रगति के द्वार नहीं छू सकता। जीवन की उन्नति, प्रगति और उच्चतम विकास के लिए साहस मूल आधार है। ___राजकुमार वर्धमान में बचपन से ही दृढ़ साहस की अद्भुत स्फुरणा जगती हुई प्रतीत होती है। भय की कल्पना शायद उनके मानस में कभी नहीं उठी। यह सदा सभय और साहसी बालक के रूप में अपने साथियों में सबसे आगे रहे। ____एक बार कुमार वर्धमान अपने हम उम्र साथियों के साथ खेल रहे थे। अचानक वृक्षों के झुरमुट में से एक भयंकर नाग फुकारता हुआ दिखलाई पड़ा। सभी साथी डरकर इधर-उधर भागने लगे। वर्धमान ने ललकारा - क्या हुआ? भाग क्यों रहे हो? साँप है... साँप... बालकों ने दबी आवाज में कहा । है तो क्या... वह अपने रास्ते जा रहा है, तुम अपना काम करो। तुम उसे तकलीफ नहीं दोगे, तो वह तुम्हें व्यर्थ ही क्यों काटेगा? - कुमार वर्धमान ने सांत्वना दी। तब तक फुकारता हुआ नाग वर्धमान के काफी पास आ चुका था, साथी दूर-दूर भाग गए। पर साहसी कुमार वर्धमान न डरा, न भागा। उसने बड़ी स्फूर्ति के साथ नाग को पकड़ा और एक रस्सी की तरह घुमाकर दूर फेंक दिया। वर्धमान के साहस पर सभी साथी चकित थे। इस तरह दिव्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर इन्द्र ने प्रसन्न मन से प्रभु का दुसरा नाम रखा महावीर। साहस जीवन का मूल गुण loving every day Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org 31

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