Book Title: Enjoy Jainism
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 39
________________ WH हम क्या हैं? AM ।। सागरे इव गंभीरे सूरे इव दित्ततेए ..... ।। Jain Education International हम गुलाब के सुमन महकत कांटों वाले कैक्टस नहीं हैं। राम कृष्ण जिन वीर बुद्ध के हम सत्पुत्र कपूत नहीं हैं । हम सागर हैं; ऐश्वर्यों की क्षुद्र तलैया नहीं; तनिक सी - कोटि कोटि नदियां पी जाएँ ! वर्षा से जो इतरा जाएँ ।। हम न दीप हैं, जो हल्के से Isually starts with Are fos Nants and wo until you see you with decent people and Maun & Spelman To पवन-स्पर्श से झट बुझ जायें । हम सूरज हैं; स्वयं ज्योति हैं अन्धड़ से भी बुझ ना पाएं ।। हम धरती के अमृत कलश हैं, सबको प्रेमामृत देते हैं। शापित, ताड़ित, मूर्च्छित, मृत को, नव जीवन से भर देते हैं ।। हम मिट्टी के ढेल हैं क्या ? जो ठोकर से खण्ड खण्ड हों । हम हैं चट्टानें, हिम गिरि की, वज्रपात से भी न मग्न हों ।। हम दावानल हैं धरती के, For Private & Personal Use Only विकृति वनों को भस्म करेंगे। अमृत मेघ हैं हम, हम से ही, नित नभ नन्दन वन जन्मेंगे ।। ve stiled wit over you are me www.jainelibrary.org 29

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