Book Title: Enjoy Jainism
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 46
________________ 36 ।। दुःखं पापात् ।। मां बाप का अविनय करने से दुःखी होता है। गालियां बोलने से दुःखी होता है। गुस्सा करने से दुःखी होता है। अभिमान करने से दुःखी होता है। मांसाहार करने से और शराब पीने से दुःखी होता है। मक्खन, शहद खाने से दुःखी होता है। जुआ खेलने से दुःखी होता है। दूसरे लड़कों के साथ लड़ने से दुःखी होता है। दूसरों की निन्दा करने से दुःखी होता है I दूसरों का दोष देखने से दुःखी होता है। बासी खाने से दुःखी होता है। दूसरों पर दोषारोपण करने से दुःखी होता है । दूसरे मनुष्यों की ईर्ष्या करने से दुःखी होता है। दूसरों को लड़ाने से दुःखी होता है। पाप करने से दुःखी होता है। xxxxx You at two दुःखी होता है... ******* bergauself Ar www.

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