Book Title: Enjoy Jainism
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 45
________________ सुख धर्म से मिलता है। दुःख पाप से मिलता है। भगवान जगत को बनाते नहीं हैं। भगवान जगत को दिखाते हैं। आत्मा अनादिकाल से है। आत्मा अनादिकाल से कर्मबद्ध है। संसार अनादिकाल से है। कर्म से संसार है। कर्म से ही जन्म-मरण है। भगवान मोक्ष में से वापिस संसार में नहीं आते हैं। सिद्धान्त || एगो मे सासओ अप्पा नाणदंसणसंजुओ ।। आत्मा अविनाशी है। सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र से ही मोक्ष मिलता है। हरेक भव्य आत्मा परमात्मा हो सकती है। मोक्ष में आत्मा को अनन्त सुख और आनन्द होता है। - मोक्ष में किसी भी प्रकार का दुःख नहीं है। Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org 3:

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