Book Title: Enjoy Jainism
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 56
________________ 46 १. त्रिसंध्या माता -पिता को नमस्कार करो । २. माता पिता के बाहर से आने पर खड़े हो जाओ | ३. उनको बैठने के लिये उचित आसन प्रदान करो। ४. आसन पर बैठे हुए माता-पिता की उचित सेवा करो। ५. उनके पास नीचे आसन पर नम्रता पूर्वक बैठो। ६. टट्टी-पेशाब के अपवित्र स्थान पर उनका नाम न बोलो। ७. उनकी निन्दा न करो और न सुनो। ८. उनकी यथाशक्ति उत्तम वस्त्र, भोजन और अलंकारों से भक्ति करो। उनके हाथों से कराओ। ९. पारलौकिक पुण्यकार्य १५. १४. १३. उनका उपकार कभी मत भूलो। उनका अपमान या तिरस्कार तो कभी भूल कर भी न करो। १६. उनकी मृत्यु के बाद उनकी मालिकी की चीजों का या सम्पत्ति का धर्ममार्ग में व्यय करो। वृद्ध और बीमार माता-पिता की विशेष सेवा करो । σ dain Education International ११. १२. उनके आसन, शयन, वस्त्र, अलंकार का स्वयं उपयोग न करो। उन्हें जो पसन्द हो वह करो। १०. जो उन्हें पसन्द न हो वह न करो। σα इस प्रकार बर्ताव करने की प्रतिज्ञा करके माता-पिता के सच्चे पूजक (भक्त) बनो । माता-पिता का पूजन कॅरोट des Rock-a-tge aby os the tres tep will rock. When the box becake the cradle will fall & dows will baby, cradle & all. Baby is dressing cery & fair, mercer in her king their Forward & lack the crece she wings Astophely steeps, he hears what the sing Tellshy, ether asks TU sleepy head ।। दुष्प्रतिकारौ मातापितरौ ।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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