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आ ग्रन्थ क्यारे लखायो तेनी नोंध ग्रन्थप्रशस्तिना अंतमां लेवाई छे. तेमां ते संवत १२९० ना चैत्र सुदि ११ ने रविवारना दिवसे स्तंभतीर्थमां (खंभातमां) आ महाकाव्य वस्तुपाले लखाव्यु एवो स्पष्ट उल्लेख छे.१ आथी आ ग्रन्थ ते अगाऊ रचायो हतो एम चोक्कस लागे छे. वस्तुपाळनी अनेक यात्राओ करतां आ यात्रानुं वर्णन एक करतां वधु विद्वानोए आलेख्युं छे. तेथी बधी यात्राओमां आ तीर्थयात्रा अननुभूत हशे तेमां शंका नही, अर्थात् ते महायात्रा हशे एम मार्नु छु. प्रबंधचिंतामणिमां वस्तुपाळे महायात्रानो प्रारंभ संवत १२७७मां को हतो एम जणाव्युं छे.२ आ हकीकतने गिरनारना संवत १२९३ ना शिलालेखथी पुष्टि मळे छे तेमां पण वस्तुपाळे संवत १२७७मां संघपति बनी यात्रा कर्यानुं सूचव्युं छे. आथी वस्तुपाळे संवत् १२७७मां महायात्रा करी हती एम लागे छे. आ तीर्थयात्रामांथी आव्या बाद थोडाक वखत पछी आ ग्रन्थनी रचना करवामां आवी होवी जोईए, एटले ते संवत १२७७थी ९० सुधीमां रचाई गयो हतो एमां शक नथी. अने ते प्रमाणे धर्माभ्युदयकाव्यनी रचना संवत १२७९-८०मां थई हशे एवं अनुमान थाय छे. आ अनुमान करवानुं खास कारण तेना माटे सीधे सीधा प्रमाणोना अभावने लईने छे. छतां ते १२९०मां लखायो हतो एवो स्पष्ट पुरावो मळतो होवाथी ते वस्तुपाळना समकाळमां संवत् १२९० पहेलां रचायो हतो एम स्पष्ट रीते साबित थाय छे.
श्रीयुत कनैयालाल भा. दवे
१. सं० १२९० वर्षे चैत्र शु० ११ रवौ स्तम्भतीर्थवेलाकूलमनुपालयात महं० श्रीवस्तुपालेन श्रीधर्माभ्युदयमहाकाव्य पुस्तकमिदमलेखि ॥
२. 'अथ सं० १२७७ वर्षे सरस्वतीकण्ठाभरणलघुभोजराजमहाकविमहामात्यश्रीवस्तुपालेन महायात्रा प्रारेभे' ।।-प्रबन्धचिन्तामणि, पा० १६२, श्री दु. के. शास्त्री संपादित