Book Title: Dhananjay Ki Kavya Chetna Author(s): Bishanswarup Rustagi Publisher: Eastern Book Linkers View full book textPage 6
________________ (iv) 'रामकथा' और महाभारत की 'पाण्डवकथा' हैं । कवि ने श्लेषादि अलंकारों द्वारा समानान्तर रूप से रामकथा एवं पाण्डवकथा का सफल विन्यास किया है, जिसके परिणामस्वरूप जैन महाकाव्य परम्परा 'सन्धान - महाकाव्य' की एक नवीन विधा का समारम्भ कर सकी है और सन्धान- कवि धनञ्जय इस परम्परा के आदि कवि बन गये। कालान्तर में यह सन्धान परम्परा त्रिसन्धान, चतुस्सन्धान, पंचसन्धान, सप्तसन्धान और चतुर्विशंतिसन्धान के रूप में पल्लवित और पुष्पित हुई । प्रस्तुत ग्रन्थ दिल्ली विश्वविद्यालय की पी-एच० डी० उपाधि के लिये सन् १९८९ में स्वीकृत शोध-प्रबन्ध “ धनञ्जय कृत द्विसन्धान- महाकाव्य : एक अध्ययन” का अंशतः परिवर्द्धित एवं संशोधित रूप है । इस ग्रन्थ में द्विसन्धान-महाकाव्य के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन का विनम्र प्रयास किया गया है । 1 प्रस्तुत ग्रन्थ आठ अध्यायों में विभक्त है । प्रथम अध्याय में सन्धान-महाकाव्यों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य तथा उसकी काव्य- परम्पराओं से • सम्बद्ध विवेचन प्रस्तुत है । द्वितीय अध्याय में द्विसन्धान-महाकाव्य के कर्ता धनञ्जय के काल, उसके व्यक्तिगत परिचय तथा उसकी कृतियों आदि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है । तृतीय अध्याय में द्व्यर्थक सन्धान- काव्य विधा की पृष्ठभूमि में आलोच्य महाकाव्य के सन्धानत्व तथा उसकी कथा-वस्तु का विवेचन है । चतुर्थ अध्याय में संस्कृत काव्यशास्त्रीय महाकाव्य - लक्षणों की पृष्ठभूमि में आलोच्य महाकाव्य की सर्गबद्धता, कथानक, कथानक का आधार, कथानक - व्यवस्था, अवान्तर कथा योजना इत्यादि शिल्प- वैधानिक विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया I । पंचम अध्याय में रस-परिपाक का विवेचन प्रस्तुत है । शृङ्गार, वीर, शान्त, करुण, रौद्र, बीभत्स, भयानक आदि रसों की स्थिति का इस अध्याय में विशेष आकलन किया गया है । षष्ठ अध्याय अलंकार - विन्यास से सम्बद्ध है । इसमें शब्दालंकारों, अर्थालंकारों तथा चित्रालंकारों की विशेष चर्चा उपलब्ध है । सप्तम अध्याय में लघु, गुरुवर्ण अथवा द्रुत एवं विलम्बित लय के परिचय सहित आलोच्य महाकाव्य में छन्द-योजना के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डाला गया है । अष्टम अध्याय को (क)राजनैतिक अवस्था, (ख) आर्थिक स्थिति तथा (ग) सामाजिक परिवेश – तीन भागों में विभक्त कर तत्कालीन सांस्कृतिक मूल्यों का परिशीलन किया गया है । राजनैतिक अवस्था के अन्तर्गत शासन - तन्त्र का स्वरूप, राज्य-व्यवस्था, शासन-व्यवस्था, युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था आदि का विवेचन हुआ है । आर्थिकPage Navigation
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