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एस धम्मो सनंतनो
उपाय ही नहीं।
तो जब भी तुम भूल करो, जो भी परिणाम हों, सारी अपनी भूल पर ही आरोपित करना। तो आश्वासन कटेगा, तो प्रलोभन कटेगा, तो तुम्हें पाप सीधा-सीधा दिखायी पड़ेगा, तो पाप तुम्हें धोखा न दे पाएगा, प्रवंचना में न डाल पाएगा। अनुभव तो पाप के दुख के हैं, लेकिन प्रलोभन सदा सुख का है। पाप बुलाए चला जाता है। वह बड़े इंद्रधनुष बसाता है। पास पहुंचोगे, हाथ में कुछ भी न लगेगा। मृग-मरीचिका है। दूर का धोखा है। __ लेकिन दूर से धोखा बड़ा सुंदर मालूम होता है। इंद्रधनुष के पास जाओगे, सब रंग खो जाएंगे। हर बार ऐसा ही हुआ है। पाप के पास गए, रंग खो गए। अंधेरा हाथ लगा। कोई रोशनी हाथ न आयी। फिर दूर हटे, फिर प्रलोभन ने पकड़ा। फिर रंग दिखायी पड़ने लगे। दूरी में रंग है। दूर के ढोल सुहावने हैं।
पहला सूत्र है
'पुण्य करने में शीघ्रता करे, पाप से चित्त को हटाए। पुण्य को धीमी गति से करने वाले का मन पाप में रमने लगता है।' __ यह भाषा बहुत पुरानी हो गयी, ढाई हजार वर्ष पुरानी हो गयी है। इसे नया रूप देना होगा, तो ही तुम्हारे समझ के करीब आ सकेगी। इसे ऐसा समझो, जीवन ऊर्जा है। अगर ऊर्जा के लिए सक्रियता न हो, तो ऊर्जा उन दिशाओं में बहने लगती है जहां तुमने उसे कभी चाहा न था कि बहे। ___ छोटे बच्चे को खिलौना न हो, तो किसी भी चीज का खिलौना बना लेगा। महंगा है यह सौदा। खिलौना चार पैसे का था, टूटता भी तो ठीक था। उसने घड़ी उठा ली, रेडियो का खिलौना बना लिया, तो महंगा सौदा है। ऊर्जा उसके पास है, ऊर्जा संलग्न होनी चाहिए। ऊर्जा प्रवाहित होनी चाहिए। ऊर्जा अगर प्रवाहित न हो, तो बेचैनी पैदा होती है। और बेचैनी में आदमी कुछ भी करने को राजी हो जाता है। पाप बेचैनी से पैदा होता है।
बुद्ध कहते हैं, 'पुण्य करने में शीघ्रता करे।'
जब भी तुम्हारे पास शक्ति हो, बाटो। जब भी तुम कुछ कर सकते हो, कुछ शुभ करो। प्रतीक्षा मत करो कि करेंगे कल। क्योंकि ऊर्जा आज है, और तुमने शुभ को कल पर टाला, तो बीच के समय में पाप तुम्हें पकड़ेगा। तुम कुछ न कुछ करोगे।
यह चकित होओगे तुम जानकर कि जीवन के अधिक पाप कमजोरी से पैदा नहीं होते, शक्ति से पैदा होते हैं। बीमार दुनिया में बहुत पाप नहीं करते, स्वस्थ लोग पाप करते हैं। अगर पाप के हिसाब से देखो, तो बीमारी सौभाग्य है, स्वास्थ्य दुर्भाग्य है। अगर पाप की दृष्टि से देखो, तो जिनके पास शक्ति है वही उपद्रव है। जिनके पास शक्ति नहीं है, उनका कोई उपद्रव नहीं। आलसी आदमियों ने कोई बड़े पाप नहीं किए, पाप करने के लिए आलस्य तो तोड़ना पड़ेगा। कर्मठ, सक्रिय, कर्मवीर,
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