Book Title: Dhammapada 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 258
________________ आत्म-स्वीकार से तत्क्षण क्रांति पहला प्रश्न: अकारण जीने की कला का सूत्र क्या है? कृपा करके कहें। कारण से जीयो या अकारण जीयो, हर हालत में तुम अकारण ही जीते हो। - कारण भला तुम खोज लो, कारण है नहीं। कारण तुम्हारा ही आरोपण है। इसे समझने की कोशिश करो। . जीवन कहीं जा नहीं रहा है, जीवन है। जीवन का कोई भविष्य नहीं है, बस वर्तमान है। वर्तमान ही एकमात्र अस्तित्व का ढंग है। तुम जन्मे, क्या कारण है ? पूछोगे, उलझोगे। पूछोगे तो कोई न कोई प्रश्न का उत्तर देने वाला भी मिल जाएगा; कोई न मिलेगा तो तुम खुद ही अपने मन को कोई उत्तर देकर समझा लोगे। ऐसे ही तो सारे दर्शनशास्त्र निर्मित हुए हैं। आदमी ने पूछा-उत्तर देने वाला कोई भी नहीं है-आदमी ने ही पूछा, आदमी ने ही उत्तर दे लिए। फिर प्रश्नों की पीड़ा से बचने के लिए उत्तरों को सम्हालकर रख लिया, संजोकर रख लिया, मंजूषाएं बना लीं-वेद बने, कुरान-बाइबिल बनी। आदमी की बेचैनी समझ में आती है। उसे लगता है, क्यों? कारण होना चाहिए! पर तुम जो भी कारण खोजते हो, तुम्हारा प्रश्न उस कारण पर भी उतना ही लागू 243

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