Book Title: Dhammapada 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 263
________________ एस धम्मो सनंतनो किए होंगे। तुम राजी हो गए। तुम यह नहीं पूछते कि पिछले जन्म में बुरे कर्म क्यों किए होंगे? तो ज्ञानी और पिछले जन्म में ले जाएंगे, लेकिन कहां तक ले जाएंगे! तुम चलते ही चलो पूछते। तुम कहो, कभी तो शुरुआत हुई होगी, हम यह पूछते हैं कि शुरुआत क्यों हुई? ___जब तुम पूछते हो कि मैं आज दुखी हूं, तब तुम्हारे इस प्रश्न में यह छिपा है कि दुख प्रारंभ क्यों हुआ? यह भी कोई बात हुई कि तुमने कह दिया, अगले जन्म में पाप किए थे, इसलिए दुख भोग रहे हो! पिछले जन्म में पाप क्यों किए थे? और पिछले जन्म में किए होंगे और पिछले जन्म में किए होंगे! चलते चलो। तुम ज्ञानियों को थकाओ। तुम उनको उस जगह ले आओ जहां वे नाराज होकर खड़े हो जाएं और कहें कि अतिप्रश्न हो गया! गार्गी! सिर गिर जाएगा!! और मैं तुमसे कहता हूं, हर ज्ञानी को तुम इस जगह पर ले आओगे; जहां याज्ञवल्क्य आ गया, वहां दूसरे ज्ञानी न टिकेंगे-तुम जरा पछते चलो। मैं छोटा था तो कहीं भी साधु-महात्माओं की सभा हो, पहुंच जाता था। तो एक उपद्रव होने लगा। मुझे देखकर ही सभा के आयोजक बेचैन होने लगते कि यह कुछ न कुछ पूछेगा। फिर तो महात्मा भी मुझे पहचानने लगे। वे कहते, वह छोकरा आ गया, उसको बाहर करो! ___ एक छोटे बच्चे के उत्तर नहीं दे पाते हो, कैसा महात्मापन है! एक छोटे बच्चे को राजी नहीं कर पाते हो, समझा नहीं पाते हो, किसको समझाने चले हो! तो ऐसा लगता है, जो समझने को बैठे हैं, वे समझने को वस्तुतः गहरे उत्सक नहीं हैं: वे किसी तरह की लीपापोती करने को उत्सुक हैं, समझा लेना चाहते हैं, जल्दी में हैं; कुछ भी मानने को राजी हो जाते हैं, कुछ भी कहो वे स्वीकार कर लेते हैं, सिर हिला देते हैं कि ठीक होगा। तुम जरा अपनी इस वृत्ति को ठीक से समझो। जरा फिर से आंख खोलकर देखो। यह कारण को पूछो मत। कारण कहीं है नहीं। अस्तित्व अकारण है। और इसीलिए इतना सुंदर है। अकारण का अर्थ यह होता है कि इसके होने के लिए कोई वजह न थी, बेवजह है। जब कोई चीज बेवजह होती है, तो असीम होती है। जब कोई चीज बेवजह होती है, तो उस पर कहीं भी कोई सीमा नहीं होती, हो नहीं सकती। कारण सीमा बनाता है। जरा देखो, कहीं सीमा दिखायी पड़ती है इस अस्तित्व में? रूपांतरण होता रहता है, सीमा कोई नहीं। रूप बदलते रहते हैं, खेल जारी रहता है। कारण होता तो कभी का चुक न गया होता! थोड़ा सोचो, कितने अनंत काल से जगत है! यह कैसा कारण है जो अब तक चुक नहीं गया! फिर कभी तो चुक जाएगा. कारण। जब कारण चुक जाएगा तो जगत भी चुक जाएगा। तुम सोच भी सकते हो, जगत चुक जाएगा? कुछ तो होगा। ना-कुछ होगा, तो भी तो कुछ होगा। शून्य भी तो कुछ है! 248

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