Book Title: Dhammapada 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 262
________________ आत्म-स्वीकार से तत्क्षण क्रांति है, लेकिन कहीं तो थाह होगी। नहीं, कोई थाह नहीं। जीवन अथाह है। न इसके पीछे कोई कारण खोजा जा सकता है, न इसके आगे कोई भविष्य खोजा जा सकता है। बस जीवन अभी और यहीं है। __ हां, तुम्हें बेचैनी लगती हो तो कारण खोज लो, लेकिन कारण खिलौने हैं। प्रौढ़ होना चाहिए। प्रौढ़ व्यक्ति मैं उसे कहता हूं जिसने प्रश्नों की व्यर्थता समझकर प्रश्नों का त्याग कर दिया। उसे मैं प्रौढ़ कहता हूं। जो अभी प्रश्न पूछे चला जाता है और सोचता है कि उत्तर होंगे कहीं, वह अभी बच्चा है। अभी उसने जीवन का बुनियादी पाठ भी नहीं सीखा, कि जीवन है-अकारण! तुम्हें अड़चन क्या है अकारण को स्वीकार करने में? पक्षी गीत गा रहे हैं, किसी कारण से? वृक्षों में फूल लगे हैं, किसी कारण से? चांद-तारे घूम रहे हैं, किसी कारण से? यह तुम्हें खुजलाहट क्या है कि कारण होना चाहिए? फिर अगर मैं कोई कारण बता दूं तो तुम चुप हो जाओगे? अगर मैं कह दूं, यह परमात्मा की लीला है, यह कोई उत्तर हुआ! यही तुम्हारे ज्ञानी तुम्हें उत्तर दे रहे हैं, परमात्मा की लीला है! और तुम पूछते नहीं कि लीला! किसलिए? यह परमात्मा बिना लीला के नहीं रह सकता, इसको कुछ अड़चन है? इसको कुछ बेचैनी है? यह बिना लीला के शांत नहीं बैठ सकता? महात्मा तो सब शांत बैठना सिखाते हैं। परमात्मा ही शांत नहीं बैठ पा रहा है, तो हम गरीब आदमियों का क्या! यह लीला क्यों? हमसे तो कहा जाता है, संसार छोड़ो; खुद संसार की लीला कर रहा है? यह बात बड़ी अजीब सी लगती है। हमसे तो कहा जाता है, त्यागो, यह सब अड़चन है, आवागमन से छुटकारा करो, और यह आवागमन बनाए चला जाता है ? अगर कहीं कोई जुर्मी है और किसी ने कोई महाघात, महापाप किया है, तो यह परमात्मा है। यह जाल क्यों रचता है? और ज्ञानी कहते हैं, लीला है। तुम जरा लीला शब्द को तो समझो! लीला का मतलब ही यह हुआ कि अकारण है। लीला कहने का मतलब ही यह हुआ कि ज्ञानियों के पास कोई उत्तर नहीं है। वे कह रहे हैं, क्षमा करो, अब मत पूछो, सब लीला है! मगर लीला कहने से ऐसा लगता है, उन्होंने उत्तर दिया, जैसे उन्होंने बता दिया। मगर तुम पूछो प्रश्न को फिर, लीला क्यों? किस कारण? आदमी दुख भोगता है तो पूछता है, किस कारण? ज्ञानी तथाकथित ज्ञानी, क्योंकि मैं नहीं मानता कि कोई ज्ञानी ऐसे कारण बताएगा जो नहीं हैं तो ज्ञानी कहते हैं, पिछले जन्म में पाप किया होगा। अब बड़ा मजा है, तुम राजी हो जाते हो। यहां दुख समझाए में नहीं आता था, समझने में नहीं आता था, क्यों दुख भोग रहा हूं! किसी को सताया नहीं, किसी को मारा नहीं, पीटा नहीं, दुख क्यों भोग रहा हूं! ज्ञानी कहते हैं, पिछले जन्म में बुरे कर्म 247

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