Book Title: Dhammapada 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 224
________________ महोत्सव से परमात्मा, महोत्सव में परमात्मा हे धर्मगुरु, अपनी-अपनी किस्मत है। तुम धर्मगुरु बनने की चेष्टा में मत पड़ना। तुम धार्मिक होने की फिकर छोड़ो। तुम परमात्मा के उत्सव को अंगीकार करो। जो जीवन में मिला है, उसे इतनी गहराई से भोगो कि उसकी भोग की गहराई में तुम्हें सब जगह से परमात्मा के दर्शन होने लगें। भोजन भी करो तो ऐसे अहोभाव से कि उपनिषद के वचन सत्य हो जाएं–अन्नं ब्रह्म। सौंदर्य को भी देखो तो इतने अहोभाव से कि सभी सौंदर्य उसी के सौंदर्य की झलक लाने लगें। उठो तो उसमें, बैठो तो उसमें, चलो तो उसमें। जागो तो उसमें, सोओ तो उसमें। परमात्मा ही तुम्हारा लिबास हो जाए। वह तुम्हें घेरे रहे। तो ही मैं कहता हूं, तुम धार्मिक हो पाओगे। धार्मिक होना चौबीस घंटे का काम है, इसमें छट्टी का उपाय नहीं। इसमें रविवार का दिन भी नहीं आता। ईसाइयों की कहानी है कि परमात्मा ने छह दिन संसार बनाया, सातवें दिन विश्राम किया। अब पश्चिम में यूनियनवादी लोग हैं, वे इसके खिलाफ हैं, वे कहते हैं, पांच दिन होना चाहिए काम। छह दिन? मुझे लगता है कि यूनियनवादियों ने ही उसको राजी किया होगा पहले भी कि तू छह ही दिन काम कर, सातवें दिन छुट्टी रख, नहीं तो मामला सब खराब हो जाएगा। ___ जहां तक मेरे देखे, परमात्मा सातों दिन काम कर रहा है-अहर्निश। छुट्टी तो कोई तब चाहता हैं जब काम दुख होता है। जब काम ही आनंद हो, तो कोई छुट्टी चाहता है? किसी ने कभी प्रेम से छुट्टी चाही है? काम से लोग छुट्टी चाहते हैं, क्योंकि काम उनका प्रेम नहीं। तुम परमात्मा से छुट्टी न चाहो। तब तो एक ही उपाय है कि तुम जो करो, वह परमात्मा को ही निवेदित हो, समर्पित हो। तुम जो करो, उसमें ही प्रार्थना की गंध समाविष्ट होने लगे। प्रार्थना की धूप तुम्हारे जीवन को चारों तरफ से घेर ले, सुवासित कर दे। और अगर तुमने किसी भविष्य के परमात्मा के सामने प्रार्थना की तो वह झूठी रहेगी, क्योंकि परमात्मा सदा वर्तमान का है। भविष्य के परमात्मा तुम्हारी ईजादें हैं। धोखे हैं। और अगर तुमने किसी भविष्य के परमात्मा के सामने प्रार्थना की तो उस प्रार्थना में मस्ती न होगी, मस्ती तो केवल अभी हो सकती है। तेरा ईमान बेहजूर, तेरी नमाज बेसरूर __ ऐसी नमाज से गुजर, ऐसे ईमान से गुजर न तो तुम्हारी प्रार्थना में मस्ती है, न तुम्हारी प्रार्थना में परमात्मा है। ऐसी नमाज से गुजर, ऐसे ईमान से गुजर तेरा ईमान बेहजूर, तेरी नमाज बेसरूर प्रार्थना को मस्ती बनाओ। अच्छा हो मैं ऐसा कहूं, मस्ती को प्रार्थना बनाओ। नाचो, गाओ। इसी क्षण यह हो सकता है। परमात्मा कब से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। और कब तक प्रतीक्षा करवाओगे? 209

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