Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ धम्मि- दं ध्रुवं // 50 // इतः सौम्य तृतीयेऽह्नि / कुशाग्रपुरपत्तनें // यामि जामेऽहमित्युक्त्वा / बंधौ प्र- / चचाल सः // 21 // विक्लवाहमपि त्रातु-वियोंगे तस्य पृष्टतः / अद्यानवद्यविद्यातो / जातोत्पा ताययाविद // 55 // जनाननादिहाश्रीषं / वधं बंधोस्त्वया कृतं // ततः कोपेन कंप्रांगी। चेतसीति व्यचिंतयं // 53 // श्रायुस्तस्य ध्रुवं दीणं / योऽवधीन्मम सोदरं // पुबमाबिद्य सर्पस्य / कियनंदति मानवः // 14 // ततस्त्वां दंतुकामाद-मिह सत्वरमागमं // त्वय्यासन्ने तु रोषोऽमि-खि शाग्रपुर नामना नगरमां जावं लु, एम कहीने ते मारो नाश् चालतो थयो. // 51 // त्यारे जा. इना वियोगथी हुँ पण गनराश्ने बाजे निर्मल विद्याथी उडीने तेनी पाउळ यहीं प्रावी. // // 5 // अहीं याव्याबाद में लोकोना मुखथी सांजल्यु के तमोए मारा नाश्नो वध को बे, सारे क्रोधथी कंपता शरीरवाळी हुँ मनमां विचारवा लागी के, // 53 // जेणे मारा नाश्ने मार्यो बे, तेनुं आयु खरेखर दीण थयु बे, केमके सर्पm पुंछड़ें खेंचीने माणस केटझुक जीवी शके? // // 55 // पनी हुं तमोने माखानी श्वाथी तुरत यहीं यावी, परंतु जलपासे जेम अमि तेम तः मारापासे पाववाथी मारो क्रोध शांत थ गयो. // 55 // माटे हे विचारवंत! हवे अापना श. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. Trust

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204