Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- स्वगृहानिरखास्यत // 17 // धनुनीतोऽपि लोकेन / कोपं तस्मिन्न सोऽत्यजत // प्रायेण दीर्घरोषाः | स्यु- जगा श्व तादृशाः // 2 // तिरस्कृतोऽपि बालोऽसौ / न मालिन्यमलंगयत् // पटोपमं दयापुण्यं / पश्चात्तापरजोनरैः // 25 // कुर्वन् यथातथा वृत्तिं / स प्रकृत्या दयाईया // बालो ब. ___737 छमनुष्यायु-रचिरेण व्यपद्यत // 30 // अस्ति शैलनितंवस्था / पल्ली विषमकंदरा // राजते रा. जधानीव / पापमापस्य या जुवि / / 31 // मंदरोऽमंदरोषोऽनु-दधिपस्तत्र निःकृपः // वनमाला पतां पण शंका पमाडनारो तुं क्यांथी कुलमां पाक्यो? // 26 // एम कहीने ते निर्दय महाधने ते बालकने दयालु जाणी लाकमायादिकथी मारीने पोताना घरमांथी बहार कहाडी मेव्यो. // // 27 // लोकोए समजाव्या छतां पण तेणे ते बालकप्रतेनो कोप जोड्यो नहि, केमके प्रायें क. रीने तेवा माणसो सोनीपेठे दीर्घ रोषवाळा होय . // 2 // एवी रीते तिरस्कार पाम्या उतां पण ते वालके पश्चात्तापरूपी रजना समुहथी पोताना वस्त्रसरखां दयापुण्यने मलीन कर्यु नहि. / / // 20 // पनी पोताना दयालु खनावथी जेम तेम बाजीविका चलावीने ते बालक मनुष्यनु था. यु बांधीने तुरत मृत्यु पाम्यो. // 30 // पर्वतनी मेखलामां विषम गुफा वाळी एक पल्ली , के जे Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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