Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 187
________________ सार्थ 730 धाम्म- प्रिया तस्य / नर्तृतुल्यगुणोदया // 35 // स च जीवः सुनंदस्य / तस्याः कुदाववातरत् // समये / च प्रसूता सा / तनयं सरनान्निधं // 33 / / कुर्वन कुलोचिताः केली-ाधमात्रपरिबदः // स ना. | रीनेत्रविश्राम-स्थानमाप वयः शिशुः // 34 // अथाकस्मिकरोगेण / मंदरे न्यग्जवं गते // न्यवे. शि सरजस्तस्य / पट्टे पल्लीमहत्तरैः // 35 // स्वाः प्रजाः पालयंश्चाप-करः पस्किरान्वितः // श्रथा पृथ्वीपर रहेला पापरूपी राजानी राजधानीसरखी शोने . // 31 // त्यां अत्यंत क्रोधी भने निर्दय मंदर नामे राजा हतो, तेने नरिसरखाज गुणोना नदयवाळी वनमाला नामनी स्त्री ह. ती. // 3 // हवे ते सुनंदनो जीव तेणीनी कुदिए अवतर्यो, थने तेथी संपूर्ण समये तेणीए सरन नामना पुत्रने जन्म प्राप्यो. // 33 // ते बालक फक्त पाराधिना परिवारवाळो थश्ने पो. ताना कुलने नचित क्रीडा करतोथको स्त्रीनेना नेत्रोने विश्राम करवाना स्थानरूप यौवनवय पा म्यो. / / 34 // हवे को थाकस्मिक रोगथी ते मंदरभिल्ल मरीने नीची गतिमां गयाबाद पद्धीना मुख्य लोकोए ते सरनने तेनी पाटे स्थाप्यो. // 35 // पनी ते पोतानी प्रजा पालतोयको एक दिवसे हाथमां धनुष लेने परिवारसहित पल्लीनजीक रहेला पर्वतपर गयो. // 36 // त्यां रह्याथ. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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