Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 198
________________ थाम्न दृढगाढनवब्रह्म-गुप्तिनित्यंतरास्थितं // नारीकटादानाराचै-रविचत न तन्मनः / / 75 // शीत वातातपक्लेश-सहने सं वनेचरैः / / अलक्ष्यत गुरुयाव-घटितप्रतिमोपमः // 76 // एवंविधविहारे ण। विहरन स महीतले // झात्वावसितमायुः खं / गृहेऽनशनं सुधीः / / 77 // प्रपद्य त्रिंशता. 74 होनि-रेष संलेखनां सुखं // सध्यानयानमारूढः / कल्पं नाम्नाच्युतं ययौ / / 7 // हाविंशतिम सौ तत्र / सागरोपमितीन सुखं / चुक्त्वा महाविदेहेषु / सत्कुले जन्म लप्स्यते / ए // तत्रापि गेडेली कांचळीमां जेम सर्प तेम ते कदापि पण यासक्त थयो नहि. // 4 // दृढ अने मजबू. त एवी नव प्रकारनी ब्रह्मचर्यनी गुप्ति रूपी भीतोनी अंदर रहेबु तेनुं मन स्त्रीनना कटादोरूपी बाणोथी वांधायुं नहि. // 5 // ठंडी वायु अने तापना क्लेशोने सहन करवामां वनचरोए ते धम्मिल मुनिने महान पत्थरनी घडेली प्रतिमासरखा जोया. // 6 // एवी रीतना विहारथी ते सुबुधि धम्मिल मुनिए पृथ्वीपर विहार करतांथकां पोताना आयुनो अंतकाळ जाणीने अनशन ग्रहण कर्य. // 7 // त्रीश दिवसोसुधी सुखेथी संलेखना करीने उत्तम ध्यानरूपी वाहनपर चमीने ते अच्युत नामना देवलोकमां गया. // 7 // त्यां ते बावीस सागरोपमनुं सुख जोगवीने Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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