Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सार्थ धाम्म गणनां विभुः // 7 // प्रबोधचिंतामणिरनृतस्तथो-पदेशचिंतामणिर्थपेशलः // व्यधायि यै नः / कुमारसंन्नवा-निधानतः सूक्तिसुधासरोवरं // 7 // विद्वार्थितस्तैः किल धम्मिलस्य / प्रशस्यमेत चरितं वितेने // निपीयतां तत्र पवित्रपुण्य-रसः सरस्यामिव नव्यलोकाः // ए | विषट्वारिधि. -753 / चंद्रांक-वर्षे विक्रमपतेः // अकारि तन्मनोहारि / पूर्ण गुर्जरमंडले // 10 // तत्र त्रीणि सह स्राणि / तथा पंचशतानि च // चतस्रोऽनुष्टुनश्चेति / ग्रंथसंख्या विनिश्चिता // 11 // न थया, के जेमनी कवितानी गणत्री करवाने ब्रह्मा पण समर्थ नथी. // 7 // वळी जेमणे पद्चुत एवो प्रबोधचिंतामणि नामे ग्रंथ, अर्थथा मनोहर उपदेशचिंतामणि नामे ग्रंथ, तथा सुनापितरूपी अमृतना सरोवरसर जैनकुमारसंभव नामे महाकाव्य बनाव्युं . // 7 // वळी विद्वानो. ए प्रार्थना करवाथी तेनए धम्मिलनुं आ प्रशंसापात्र चरित्र रच्यु बे, माटे तळावनीपेठे तेमां रहे. ला पवित्रपुण्यरसने हे नव्यलोको! तमो पीन? // 5 // विक्रमराजाना चौदसो बासठ (1462) ना वर्षमां या मनोहर चरित्र गुजरात देशमां संपूर्ण कयु. // 10 // या चरित्रमा त्रण हजार | पांचसोने चार (3504 ) अनुष्टुप् श्लोकोनी ग्रंथसंख्या निश्चय करेली . // 11 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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