Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धाम्म | कृपापूर्णमनाः पाप-जीनिर्मुक्तमत्सरः // सवृत्तमत्यजन्नित्य-मायुः स स्वमपूरयत् // 66 // कृत्वा / . | समाधिना कालं / कुशाग्रपुरपत्तने // कुले सुरेंद्रदत्तस्य / धम्मिल त्वमनः सुतः // 67 / / यत्प्राग्न वे दयापुण्य-मनन्यतुलितं व्यधाः // पुष्टः दीणोऽपि तेनाय-मभवहिनवस्तव // 6 // 74 गुरोरिति गिरास्मार्षी-घम्मिलः प्राच्यजन्मनः // ग्रंथस्य विस्मृतस्येव / विनेयो विनयोज्ज्वलः ॥६॥णा ततो वैराग्यतो रोगे-ष्विव जोगेष्वनादरी // दध्यावध्यात्मबुट्यासा-विति व्रतरुचिश्चिरं / / 7 / / शयवालो ते सरन हथियारो गेमीने परिवारनी रजा लीधाविनाज त्यांथी चाव्यो गयो. // 6 // दयाथी संपूर्ण मनवाळा, पापोथी डरेला तथा मत्सररहित थयेला ते सरने हमेशां पोतानुं सदा. चरण नहि बोडलांथकां पोतानुं आयु संपूर्ण कयु. // 66 // पनी समाधिपूर्वक काळ करीने कु. शाग्रपुर नामना नगरमां तुं सुरेंद्रदत्तना कुलमां धम्मिल नामनो पुत्र थयो. // 67 // पूर्वनवमां तें जे अनुपम दयापुण्य कयु, तेथी तारो दीण अयेलो वैभव पण पागे पुष्ट थयो. // 60 // . विनयथी निर्मल थयेलो शिष्य गुरुना वचनथी जेम विसरेला ग्रंथने याद करे तेम धम्मि ले गुरुना वचनथी पोतानो पूर्वभव याद कर्यो. // 65 / / पछी वैराग्यथी रोगोसरखा लोगोमांया. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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