Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 179
________________ 730 धाम्म निनः // येन दौर्गत्यजीनेदो-दुतां निवृतिमाप्नुथ // एU || मुनेत्यानया पुण्यो बासनासः / सार्थ | सभासदः / जीवन्मुक्तमिवात्मानं / मेनिरे मुदिताशयाः / ए५ // प्रणम्य धम्मिलोऽपादीत् / त. |दा तं झानिनं मुनिं / / मम निर्मम को हेतु-स्त्रुटौ वृधौ च संपदः // ए६ // सितदंतप्रनादंना दर्शयन ज्ञानवर्णिकां // मुनिः प्राग्जन्मवृत्तांतं / तं प्रत्यनिदधे ततः // ए॥. | अस्त्यत्र नारते क्षेत्रे / भृगुकबं महापुरं // यस्य विप्रस्य वध्वेव / रेवयासेवि सन्निधिः ॥णाम. वाखामाटे तमो चीवटपूर्वक प्रयत्न करो? के जेथी दुर्गतिना जयने नेदवाथी नत्पन्न थयेला मो. दाने मेळवी शको. // 4 // मुनिना एवी रीतना वचनथी पुण्योना नल्लासथी तेजस्वी थयेला सन्नासदो यानंदित प्राशयवाळा थश्ने पोताना आत्माने जीवन्मुक्तनीपेठे मानवा लाग्या.॥ // 5 // हवे धम्मिले ते झानी मुनिने नमीने पूज्युं के, हे निर्मम मुनिराज! मार, संपदाना कय अने वृध्नुिं शुं कारण ? // ए६ // त्यारे श्वेत दांतोनी कांतिना मिषथी झाननो नमुनो दे. खामताथका ते मुनिराज तेने तेना पूर्वनवन वृत्तांत कहेवा लाग्या.-॥ ए॥ था नरतक्षेत्रमा भृगुकब नामे एक महान नगर , स्त्री जेम नरिनुं तेम जे नगरनु पम P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trus

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