Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 177
________________ मनोबिलाश्रयाजात-बलाद्दशति देहिनः // 4 // हेयो लोनस्य संदोनः / लोनः कुटमाषबिंदुःवत् // विषयति यदुग्ध-मंजुलं गुणमंडलं // 5 // रसो गंधस्तथा स्पर्शो / रूपं शब्दश्च वि. श्रुताः॥ नवंति विषयाः पंच / पंचेषोविशिखा श्व // 76 // विहंगगमातंग-पतंगमृगवानं // তথ্য हंत्येकैकोऽपि विषयो। मिलिताः पंच किं पुनः // 7 // विषयेषु विरज्यध्वं / विषमा विषतोऽपि ये // विषमानीयते दुरा--विषयास्तु शरीरगाः // 7 // मा कृवं सीधुपाने / तया हि निपवान थश्ने प्राणीने मंखे . // 4 // वळी लोचना दोननो पण त्याग करवो, केमके लोन ले ते चाकळाना बिंदुनीपेठे दूधसरखा मनोहर गुणमंमलने दूषित करे . // 5 // कामदेवना बा णोसरखा रस, गंध, स्पर्श, रूप तथा शब्द नामना पांच प्रख्यात विषयो . // 76 // तेमानो एकेक विषय पण पति, नमरा, हाथी, पतंग तथा हरिणनीपेठे माणसने हणे , त्यारे ते पांचे एकठा थयेलानी तो वातज शुं करवी? // 7 // माटे तमो ते विषयोथी विरक्त थान? केमके | तेनं विषयी पण विषम विष तो दरथी लाक्वामां आवे , थने विषयो तो शरीरमांज रहेला | . // // वळी तमो मद्यपाननी पण श्ला न कसे? केमके वायुथी जेम तेम ते मद्यपानथी P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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