Book Title: Dasveyaliya Sutta
Author(s): Ernst Leumann, Walther Schubrin
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi

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Page 30
________________ - - अ०५-१] दशवकालिकसूत्रम्. अणायणे चरन्तस्स संसग्गीए अभिक्खणं । होज्न वयाणं पीला सामणम्मि य संसओ ॥१०॥ तम्हा एयं वियाणिता दोसं दुग्गइ-वड्डणं । वज्जए वेस-सामन्तं मुणी एगन्तमस्सिए ॥११॥ साणं सूर्य गाविं दित्तं गोणं हयं गयं । संडिब्भं कलहं जुद्धं दूरओ परिवज्जए ॥१२॥ अणुनए नावणए अप्पहिढे अणाउले। इन्दियाई जहा भागं दमइत्ता मुणी चरे ॥१३॥ . दवदवस न गछज्जा भासमाणो ये गोयरे। हसन्तो नाभिगछज्जा कुलं उच्चावयं सया ॥१४॥ आलोयं थिग्गलं दारं संधिं दग-भवणाणि य । चरन्तो न विणिकाए सङ्क-ट्राणं विवज्जए ॥५॥ रनो गहवईणं च रहसारक्खियाणि य। संकिलेस-करं ठाणं दूरओ परिवज्जए ॥१६॥ पडिकुटु-कुलं न पविसे, मामगं परिवज्जए । अचियत्त-कुलं न पविसे, चियत्तं पविसे कुलं ॥१७॥ साणी-पावर-पिहियं अप्पणा नावपङ्गुरे । कवाडं नो पणोल्लेज्जा ओग्गहंसि अजाइया ॥१८॥ गोयरग्ग-पविट्रो उ वच्च-मुत्तं न धारए। मोगासं फासुयं नच्चा अणुनविय वोसिरे ॥१९॥ ... १ मव. २ म क्खियाण.

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