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दशवैकालिकसूत्रम्.
[अ० १० चत्तारि वमे सया कसाए
धुव-जोगी ये हवेन बुद्ध-वयणे । अहणे निजाय-रूव-रयए
गिहि-जोगं परिवज्जए जे स भिक्ख ॥६॥ सम्मट्टिी सया अमूढे
अस्थि हु नाणे तवे संजमे य" । तवसा धुणइ पुराण-पावगं
मण-वय-काय-सुसंवुडे जे स भिक्ख ॥७॥ तहेव असणं पाणगं वा
विविहं खाइम-साइमं लभित्ता। होही अटो सुए परे वा"
तं न निहे न निहावर जे स भिक्ख ॥१॥ तहेव असणं पाणगं वा
विविहं खाइम-साइमं लभिता । छन्दिय साहम्मियाण भुञ्जे - भोच्चा सन्काय-रए य जे स भिक्ख ॥९॥ न य वुग्गहियं कहं कहेज्जा __ न य कुप्पे निहुइन्दिए पसन्ते । संजम-धुव-जोग-जुत्ते उवसन्ते अविहेडए जे स भिक्ख ॥१०॥
१ य not in B. २ F and Avach. तवे य सं० (तपश्च सं०). ३ B वइ. . ४ खाइमं सा° (also H?). ५H in S and Avach. अवहे.