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दशवैकालिकसूत्रम्
इत्थीण वसं न यावि गच्छे
वन्तं नो पडियायई जे स भिक्ख ॥ १ ॥ पुढेविं न खणे न खणावए, सीओदगं न पिए न पियावए । अगणि सत्थं जहा सु-निसिय
तं न जले न जलावर जे स भिक्ख ॥ २ ॥ अनिलेश न वीए न वीयावर,
हरियाणि न छिन्दे न छिन्दावए । बीयाणि सया विवज्जयन्तो
अ० १०
सचितं नाहारए जे स भिक्ख ॥ ३ ॥ वहणं तस-थावराण होइ
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पुढवि-तण-कटु-निस्सियाणं ।
तम्हा उद्देसियं न भुञ्ज,
नो वि पर न पयावर जे स भिक्ख ॥ ४ ॥
रोईय-नायपुत्त-वयणे
अँप्प-समे मज्ज छप्पि काए ।
पञ्च य फासे महवयाई
पचासव संवरैए जे स भिक्ख ॥ ५॥
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१ B पडियाहियई, H and Avach प्रत्यापिबति ( instead of प्रत्यादीयते).
२ B पुढवि.
३ H and Avach. रोचयित्वा (for रोइत्ता ?). ५ B संवरे, H and Avach. संबुडे य (°वृतश्च).
४ B अन्त