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[अ०१०
दशवकालिकसूत्रम् उवहिम्मि अमुछिए अगिद्धे ___ अन्नाय-उञ्छ पुल-निप्पुलाए। कय-विक्रय-सबिहिआ विरए
सब-सङ्गावगए य जे स भिक्ख ॥१६॥ अलोलो भिक्ख न रसेसु गिद्धे ।
उञ्छ चरे जीविय-नाभिकही। इडिं च सकारण पूयणं च --- चए ठियप्पा अणिहे जे स भिक्ख ॥१७॥
न परं वएज्जासि ,अयं कुसीले. __ जेणत्री कुप्पेज न तं वएज्जा। जाणिय पत्तेयं पुस-पावं _अत्ताणं न समुझसे जे स भिक्ख ॥१६॥ न जाइ-मते न य रूव-मत्ते . न लाभ-मते न सुएण मत्ते। मयाणि सबाणि विवज्जयन्ती
धम्म-खाण-रएं य जे स भिक्ख ॥१९॥ । पवेयए अज्ज-पर्य महा-मुणी,
धम्मे ठिओ ठावई परं पि ।
१B अवे.
२ पत्तेयं. ३ F and Avach. विवयं (जइत्ता). 8 B रए जे, म रए हि जे.