Book Title: Dasveyaliya Sutta
Author(s): Ernst Leumann, Walther Schubrin
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi

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Page 63
________________ ५२. [अ०८ दशवकालिकसूत्रम्. (बलं थामं च पहाए सद्धामारोगमप्पणो। खेतं कालं च विनाय तहप्पाणं न जुञ्जए ॥) जरा जाव न पीलेइ वाही जाव न वड्डई। जोविन्दिया न हायन्ति ताव धर्म समायरे ॥ ३५॥ कोहं माणं च मायं च लोभं च पाव-वडणं । वमे चत्तारि दोसे उ इछन्तो हियमप्पणी ॥३६॥ कोहो पीई पणासेइ, माणो विणय-नासणी। माया मित्राणि नासेइ, लोभी सव-विणासणो॥३७॥ उवसमेण हणे कोह, माणं मद्दवया जिणे। मायं चज्जव-भावेण, लोभ संतोसओ जिणे ॥३॥ कोहो य माणो य अणिग्गहीया माया य लोभी य पवड्डमाणा। चतारि एए कसिणा कसाया सिञ्चन्ति मूलाइ पुणब्भवस्म ॥३९॥ राइणिएसु विणयं पउने, धुव-सीलयं सययं हावएज्जा। कुम्मो व अल्लीण-पलीण-गुतो ____परक्कमेज्जा तव-संजमम्मि ॥४०॥ | This sloka is found only in B and the Avach. (and interpolated in s j). २j तहत्ताणं न जोजए. ३ जाव इ. ४H in S कोहे. ५ Bs राय.

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