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दशवकालिकसूत्रम् [अ०८-१
(विणयसमाही.) ॥ नवममध्ययनम् ॥ प्रथम उद्देशकः॥ थम्भा व कोहा व मर्य-प्पमाया
गुरुस्सगासे विणयं न सिक्खे । सो चेव ओ तस्स अभूइ-भावो, ____फलं व कीयस्म वहाय होइ ॥१॥
जे यावि मन्द ति गुरुं विइत्ता - डहरे इमे अप्प-सुए ति नच्चा ।
हीलन्ति मिच्छं पडिवज्जमाणा __ करेन्ति आसायण ते गुरूणं ॥२॥ पगईए मन्दा वि भवन्ति एगे - डहरा वि य जे सुय-बुद्धोववेया। आयारमन्ता गुण सुट्टियप्पा | . जे हीलिया सिहिरिव भास कुज्जा ॥३॥ जे यावि नाग डहर ति नच्चा
आसायए से अहियाय होइ । एवायरियं पि हु हीलयन्तो
नियच्छई जाइ-पहं खु मन्दे ॥४॥ .. १ F and Avach. माय. २ 8 गुरु-स० H and Avach. गुरोः. १ म विणए न चिढ़े.