Book Title: Dasveyaliya Sutta
Author(s): Ernst Leumann, Walther Schubrin
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi
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अ०८-२]. दशवैकालिकसूत्रम् जे आयरिय-उवझायाणं सुस्सूसा-वयणं-करा। तेसिं सिक्खा पवड्डन्ति जल-सिता इव पायवा ॥१२॥ अप्पणट्रा परदा वा सिप्पा नेउणियाणि य । गिहिणो उवभोगट्टा इहलोगस्म कारंणा ॥१३॥ जेण बन्धं वहं घोरं परियावं च दारुणं । सिक्खमाणा नियच्छन्ति जुत्ता ते ललिइन्दिया ॥१४॥ ते वि तं गुरुं पूयन्ति तस्स सिप्पस कारण। सक्कारेन्ति नमसन्ति तद्रा निहेस-वत्तिणो ॥१५॥ किं पुण जे सुय-ग्गाही अणन्त-हिय-कामए!। आयरिया जं वए भिक्खू तम्हा तं नाइवत्तए ॥१६॥ नीयं सेनं गई ठाणं, नीयं च आसणाणि य, नीयं च पाए वन्देजो, नीयं कुज्जा य अञ्जलिं ॥१७॥ संघट्टइत्ता कारणं तहा उवहिणा-मवि।
खमेह अवराह मे" वएज्ज ,न पुणो“ ति य ॥१॥ दुग्गओ वा पओएणं चोइओ वहई रह, । एवं दुबुद्धि किच्चाणं वुतो वुतो पकुबई ॥१९॥ (आलवन्ते लवन्ते वा न निसेज्जाए पडिस्सुणे । मोतणं आसणं धीरो सुस्मसाए पडिस्सुणे ॥)
१ B कारण, F of. . . २ वन्दित्ता.
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