Book Title: Dasveyaliya Sutta
Author(s): Ernst Leumann, Walther Schubrin
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi
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दशवकालिकसूत्रम्
[अ०६ तालियण्टेण पत्तेण साहा-विहुयणेण वा। न ते वीईउमिच्छन्ति वीयावेऊण वा परं ॥३॥ जं पि वत्थं व पायं वा कम्बलं पायपुञ्छणं । न ते वायमुईरन्ति जयं परिहरन्ति य ॥३९॥ तम्हा एयं वियाणिता दोसं दुग्गइ-वड्डणं । वाउकाय-समारम्भ जावज्जीवाए वजए ॥४०॥ .. वणमई न हिंसन्ति मणमा वयस कायसा । तिविहेण करण-जोएण संजया सु-समाहिया ॥४१॥ वणस्सई विहिंसन्तो हिंसई उ तयस्सिए। . तसे य विविहे पाणे चक्खसे य अचक्खसे ॥ ४२ ॥ तम्हा एयं वियाणिना दोसं दुग्गइ-वडणं । वणसइ-समारम्भ जावज्जीवाए वज्जए ॥४३॥ तसकायं न हिंसन्ति मणमा वयस कायसा। तिविहेण करण-जोएण संजया सु-समाहिया ॥४४॥ तसकायं विहिंसन्तो हिंसई उ तयस्सिए । तसे य विविहे पाणे चक्खसे य अचक्खसे ॥४५॥ तम्हा एयं वियाणिना दोसं दुग्गइ-वडणं । तसकाय-समारम्भ जावज्जीवाए वज्जए ॥४६॥ जाई चत्तारि ऽभोज्जाई इसिणाहार-माईणि । ताई तु विवज्जनो संजमं अणुपालए ॥४७॥
१ B वाउमु.
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