Book Title: Dasveyaliya Sutta
Author(s): Ernst Leumann, Walther Schubrin
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi
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अ०६] दशवकालिकसूत्रम् पिण्ड सेज्नं च वयं च चउत्थं पायमेव य। अकप्पियं न इछज्जा, पडिगाहेज कप्पियं ॥४॥ जे नियागं ममायन्ति कीयमुहेसियाहडं। .. वह ते समणजाणन्ति इई वृत्तं महेसिणा ॥४९॥ तम्हा असण-पाणाई कीयमुद्देसियाहडं । वज्जयन्ति ठियप्पाणो निग्गन्था धम्म-जीविणो॥५०॥ कंसेसु कंस-पाएसु कुण्ड-मोएसु वा पुणो। भुञ्जन्तो असण-पाणाई आयारा परिभसई ॥५१॥ : सीओदग-समारम्भे मन-धोयणे-छडणे। जाई छरपन्ति भूयाई दिट्टो तत्थ असंजमो ॥५२॥ पछाकम्मं पुरेकम्म सिया तत्थ न कप्पई। एयमद्रं न भुञ्जन्ति निग्गन्था गिहि-भायणे ॥ ५३॥ आसन्दी-पलियङ्केसु मञ्च-मासालएसु वा । अणायरियमज्जाणं आसइत्तु सइत्तु वा ॥५४॥ नासन्दी-पलियङ्कसु न निसेन्जो न पीढए। निग्गन्था ऽपडिलेहाए बुद्ध-वुत्तमहिटगा ॥५॥ गम्भीर-विजया एए पाणा दुप्पडिलेहगा,। आसन्दी-पलियङ्का य एयम, विवज्जिया ॥५६॥ गोयग-पविद्स्स निसेज्जा जस्म कप्पई । इमेरिसमणायारं आवज्जइ अबोहियं ॥५७॥
१ B इय. , ४H and Avach.
२ B धोवण. च.
३ B सेनाए.
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