Book Title: Dasveyaliya Sutta
Author(s): Ernst Leumann, Walther Schubrin
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi

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Page 60
________________ अ०८] दशवकालिकसूत्रम् सुद्ध-पुढवीए न निसिए ससरक्खम्मि य आसणे । पमज्जितु निसीएज्जा जाइता जस्स ओग्गहं ॥५॥ सीओदगं न सेवेज्जा सिला-वुद्धं हिमाणि य । उसिणोदगं तत्त-फासुयं पडिगाहेन्ज संजए ॥६॥ उदओल्लं अप्पणो कायं नेव पुञ्छे न संलिहे । समुप्पेह तहाभूयं नो णं संघट्टए मुणी ॥७॥ इङ्गालं अगणिं अचि अलायं वा स-जोइयं । न उरोज्जा न घटेजा नो णं निघावए मुणी ॥४॥ तालियण्टेण पक्षण साहा-विहुयणेण वा । न वीएज्ज अप्पणो कायं बाहिरं वा वि पोग्गलं ॥९॥ तण-रुक्खं न छिन्देज्जा फलं मलं व कस्सई । आमगं विविहं बीयं मणसा वि न पत्थए ॥१०॥ गहणेसु न चिटेजा बीएसु हरिएसु वा। उदगम्मि तहा निच्चं उतिङ्ग-पणगेसु वा ॥११॥ तसे पाणे न हिंसेज्जा वाया अदुव कम्मणा । उवरओ सबभूएसु पासेज विविहं जगं ॥१२॥ भट्ट सुहुमाइ पेहाएं जाई जाणितु संजए। दया हिगारी भूएसु आस चिटु सएहि वा ॥१३॥ कयराइ अटू सुहुमाइं जाई पुच्छेज्ज संजए?। इमाइ ताइ मेहावी आइक्वेज वियक्खणे ॥१४॥ I and Avach. प्रेच्य.

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