Book Title: Dashashrut Skandh Granth Author(s): Kulchandrasuri, Abhaychandravijay Publisher: Jain Shwetambar Murtipujak Sangh View full book textPage 4
________________ श्रीदशाश्रुतस्कंधे-प्रस्तावना || ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः ।। पूर्व प्रस्तावनानो सारोद्धार । जेहिं सूरिवरेहि, ताडपत्त-पमुहेहिंतो । उद्धरिआ सोहिआ, दसासुतक्खंधाइगंथा ।।१।। गुरुगुणेहिं सुसोहिआ, दंसणणाण-तवपमुहेहिं । ते मुनीसरा निग्गंथा, जयंतु सिरिविजय-कुमुदसूरीन्दा ||२|| परमतारक परमात्मा प्रभु श्री महावीरस्वामीनी पाटे थएल गणधरादिकनी परंपरामां महावीरस्वामीना निर्वाणथी १७० वर्षे थयेल श्रुतकेवली चौदपूर्वधर युगप्रधान परमपूज्य परमगीतार्थ श्रीमद् भद्रबाहुस्वामीजीए भव्य जीवोना उपकारने माटे द्वादशांगीरुप श्रुतसमुद्रमांथी जगतना उपकारने अर्थे नाना नाना उपद्रहोरुप अनेक ग्रंथो तथा अगियार अंगोमां केटलांक अंगोनी नियुक्तिओ पण रची छे, तेथी आराधको सुगमताथी अर्थने पामी आराधना करी शके. तेओश्रीना रचेला ग्रंथो नीचे प्रमाणे छे. (१) ओघनियुक्ति (२) दशाश्रुतस्कंध (३) श्रीकल्पसूत्र (४) सूत्रकृतांग नियुक्ति (५) श्री आचारांग नियुक्ति (६) श्रीआवश्यक नियुक्ति (७) श्री दशवैकालिक नियुक्ति (८) श्री पिंडनियुक्ति (९) श्री भद्रबाहु संहिता (१०) उवसग्गहर स्तोत्रादि । उपरोक्त ग्रंथोमां द्रव्यानुयोग-गणितानुयोग-चरणकरणानुयोग अने धर्मकथानुयोगनो समावेश थाय छे । ते कृतिओमांथी दशाश्रुतस्कंध नामनो ग्रंथ दश अध्ययनो तथा नियुक्ति अने चूर्णिए करीने सहित छे । ते मुनिमहाराजाओने विशेष उपयोगी होवाथी आज दिन लगी ताडपत्र उपर आलेखायेल खंभातना भंडारमा सुरक्षित रहेल हतो, ते परम पूज्य शान्तमूर्ति स्वपरशास्त्रनिष्णात पू.आ. श्री विजयकुमुदूसूरीश्वरजी महाराज साहेबे स्वहस्ते प्रेसकोपी करी मुद्रणालयमां मुद्रित कराव्यो. ____ आ ग्रंथमा दशे अध्ययनोमां ग्रंथकारे शुं प्ररुप्यु छे, ते वाचकवर्गनी जाण माटे अत्रे जणाववामां आवे छे । अत्र नियुक्तिकारे दश अवस्थाओ- विवरण करीने मनुष्यजीवननी सो वरसनी अपेक्षाए दश विभाग पाड्या छे । तेमां प्रथम बाला, मंदा , क्रीडा, बला, ఉంంంంంంంంంంంంం III | ఉతం ఉంటుంంంంంPage Navigation
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