Book Title: Dashashrut Skandh Granth Author(s): Kulchandrasuri, Abhaychandravijay Publisher: Jain Shwetambar Murtipujak Sangh View full book textPage 3
________________ हैय बोले छे पूज्यपाद प्रगुरुदेवश्री आचार्यदेव श्रीमद् विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराजा तथा पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय जयघोषसूरीश्वरजी महाराजानी आज्ञाथी पूज्यपाद आचार्य गुरुदेवश्री जगच्चंद्रसूरीश्वरजी महाराजाए महान् कृपा करी प्राथमिकथी मांडी ६ छेद सूत्रोनुं अध्ययन अमने खूब ज उल्लासथी करावी असीम उपकार कर्यो छे. जे कदी विसरी शकाय तेम नथी. त्यारबाद पूज्यपाद आचार्य देव श्री कुलचंद्रसूरीश्वरजी महाराजाए महानिशीथ श्रुतस्कन्ध अने दशाश्रुतस्कन्धD मेटर हस्तलिखित प्रतना आधारे संशोधन करी तेनुं प्रूफ मने जोवा मोकलवा द्वारा स्वाध्याय अने संपादन करवानो लाभ आपी महान् उपकार को छे. आप पूज्योना अगणित उपकार प्रत्येना कृतज्ञभाव मारी मोक्ष मार्गनी साधनामां आवता अवरोध दूर करनारा बनो अने दिन-प्रतिदिन संयम परिणाम वधारनारा बनो चारित्र पर्यायनी शुद्धि गुणस्थानकनी अभिवृद्धि कारक बनो एज एक हृदयनी भावना छे. लि .... पंन्यास अभयचंद्र विजय... (संयम जीवनना ३१ मां वर्षमा प्रवेश दिन) २०६३ महासुद १३. అటువంశంవతతంగం మరువడంతంతయంతంPage Navigation
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