Book Title: Dangvopakhyanam
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अ.३ डांग नाना प्रकारना, कोकिल अने भ्रमर ते गान करीरह्यांछे. 6 लोकानानारुषिगणैर्जुष्टंयक्षरक्षैर्निसेवितं॥एवंवनंसमावीक्ष्यप्रसन्नोमुनिसत्तमः ७टीका-वळि ए वनने विशेतो नाना प्रकारना ऋषियो तपश्चर्या करवा मंडि गयेला, यक्ष, राक्षस, तेओ पण ते वनने विशे भ्रमे छे, ए प्रकारनुं वन दुर्वासा मुनि जोइने प्रसन्न प्रसन्न पोताना मनमां होता हवा. 7 ॥श्लोक // मंदाकिनीतटराजन्तपसिचासनंधृतं // दशवर्षफलाहारःकृतस्तनम हर्षिणा // 8 // टीका-हे राजन् ए वनना समिप गंगानु तिर जोड्ने तप करवाने श्रासन धर्यु, अने दश वर्ष फलाहार ते मुनीए सुंदिर प्रकारे कर्यो. 8 . ॥श्लोक // दशवर्षनिवाराणांभक्ष्यंदुर्वाससाक्रतं दशवर्षजलाहारःकृतोराजन् द्विजेनच॥९॥ टीका-हे राजन ए मुनि सत्तम एवा दुर्वासामुनि तेतो दश वर्ष निवार भक्ष करिने तथा दशवर्ष जलाहार करीने अत्यंत तप आरंभे छे. 9 ॥श्लोक // दशवायुभक्ष्यंषष्ठीवर्षसउर्द्धपात्॥ एकदृष्टिःशतंचैववर्षाणांजनमेजय // 10 // टीका-हे जन्मेजय, एटलुंज नहीं पण दशबर्ष तो वायू भक्ष करीने अने साठ वर्षसुधी तो उंचा पगने निचे शिश राखिने, एक द्रष्टी सूर्यना सामी राखिने सो वर्ष सुधी रेहेता हवा. 10 For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 132