Book Title: Bruhatkalp Sutram Pithika Part 01
Author(s): Sheelchandrasuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 210
________________ भाष्यगाथा-७४३-७४९] 189 "भिक्खं०" गाधा / भिक्खं हिंडंतो उप्पाएति / वा विभाषायाम्। जति ण सक्केति भिक्खं हिंडिउं, चीराणि वि मग्गेउं, उस्सूरो वा जायति भिक्खस्स, न वा लब्भति भिक्खं हिंडंतेहि, ताधे बीतियाए पोरुसीए हिंडिउं चीराणं अत्थपोरिसिं परिहावेउं२ मा य सुत्तपोरिसिं / अध न संभाइज्जेज्जा बहुगा हिंडी, ताधे पढमाए वि पोरिसीए हिंडउ / अह बहू पेच्छितव्वया, दुक्खं च लब्भति, ताधे दोहि वि पोरिसीहिं सव्वाहि वा मग्गति / सो पुण जति से लद्धी ण उवहम्मति, तो सबितिओ हिंडति / पभावेति वा दाणधम्म-'एरिसो वा साहूणं धम्मो' / ताधे णिज्जरावेति / अह से हणंति लद्धि ४असहिए वि उप्पाएउ वा पभावेउ वा / एवं ताव वत्थाईणं कप्पिओ भवतु त्ति / जेणेव कप्पिओ भवति तं उस्सारिज्जति / आयार इत्यर्थः / दिट्ठिवातो केण कारणेणं उस्सारिज्जइ ? / उच्यते कालियसुआणुओगम्मि, गंडियाणं समोयरणहेउं / उस्सारिति सुविहिया, भूयावायं ण अण्णेणं // 747 // "कालियसुआ०" गाधा / जो दिट्ठिवातं अपत्तो पढिउं धम्मकधालद्धिसंप्पण्णो पुण, तस्स कालियाणुओगेण धम्मं कहेंतस्स गंडियाओ उवयुजंति त्ति काउं, तासिं समोतरणणिमित्तं अपढिते अणुद्दिढे य ण वटुंति ताओ अज्झातिउं / एतेण कारणेणं दिट्ठिवातो उस्सारिज्जति, ण वि 'वरं वायगो होतो' त्ति / इदाणि जं तं हेट्ठा भणितं-"ऽकालं असज्झायऽवक्खेवे [गा० 742] एतं उवरि भणीहामि" त्ति, तं एत्ताहे भण्णति सज्झायमसज्झाए, सुद्धासुद्धे व उद्दिसे काले / दो दो अ अणोएसुं, ओएसु उ अंतिमं एवं // 748 // एंगतरमायंबिल, विगईए मक्खियं पि वज्जेति / जावइअंच अहिज्जइ, तावइयं उद्दिसे केइ // 749 // "सज्झायमस०" गाधाद्वयम् / कंठं / किंचि वि भणामि / 'दो दो अ अणोएसुंति / अणोया णाम समा उद्देसया जधा कप्पस्स / तस्स दिणे दिणे दो दो उद्देसया उद्दिस्संति / पढम पोरिसीए एगो उद्दिवो य समुद्दिट्ठो य, ताधे बितियं उद्दिसति / बितियपोरुसीए / एतेसिं चेव सअत्थो कधिज्जति / चरिमपोरुसीए तं पढमं अणुजाणित्ता बितियं समुद्दिसति, अणुजाणति य। ओया णाम विसमा / जधा 'सत्थपरिणाए' / तीए दो दो उदिसित्ता तिहिं दिवसेहि, चउत्थे दिवसे एगो चेव / तं पढमपोरिसीए उद्दिट्ठसमुद्दिटुं करेत्ता चरमाए अणुयाणति / केई . 1. अद्धपोरिसिं पू० 1 / 2. परिहवेउ पा० / पहावेउ पू० 2 / 3. पट्ठावेति पू० 2 / 4. असहिओ पा० / तो असहिए पू० 1 / 5. कालियाणुगओ गणहरधम्मं पू० 1 /

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