Book Title: Bruhatkalp Sutram Pithika Part 01
Author(s): Sheelchandrasuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Prakrit Granth Parishad
View full book text ________________ 192 बृहत्कल्पचूर्णिः // [पीठिका णिब्भच्छिज्जति, वरं णासंतो। आयरिया वा दोसेसु ण उवरमंति / पच्छा अदेसकालपलावित्तणं पि करेज्जा / जहा-अमुगो अमुगो अमुगं भणति तुब्भं, तेणं तो मए तुब्भं कहितं जहा-अयसो होहिति / पच्छा ते तेण भएण उवरमंति / बालो वा ण ठाति वारिज्जंतो, ताधे अणूहिउँ खरेहिं पि भासिज्जति / आदिग्गहणेणं पडिणीओ व समणादिसु भावचंचलत्तणं पि करेज्जा / किंचि सुत्तं अत्थो वा वोच्छिज्जति ताधे अण्णं अद्धपढियं मोत्तुं तं गेण्हेज्जा / इदाणि 'अवट्टिते य' त्ति दारं / अवट्ठितो जो सो अणुयोगं सोउं अरिहति, अणवट्ठितस्स ण दातव्वं / सो दुविधो लिंग विहारे, एक्केक्को चेव होइ दुविहो उ। चउरो य अणुग्घाया, तत्थ वि आणाइणो दोसा // 760 // गिहिलिंग अण्णलिंगं, जो उ करेई स लिंगओ दुविहो।। चरणे गणे अ अथिरो, विहारअणवट्ठिओ एस // 761 // "दुविधो लिंग०" गाधा / सो दुविधो लिंगे विहारे य / एक्केको चेव होति दुविधो उ त्ति। तत्थ लिंगाणवढिओ दुविधो इमो-कंदप्पेण वि / 'गिहिलिंगं' पुव्वद्धं / गिहिलिंगं वा करेइ परलिंगं वा करेइ मूलं / चउरो य अणुग्घात त्ति / चोलपट्टयं बंधति 4 / गरुलपक्खियं करेइ 4 / अद्धंसकडाए 4 / संजतिपाउरणे 4 / सीसदुवारे गोपुच्छए य / / / एवं लिंगे / विहाराणवट्ठिओ इमो दुविधो / 'चरणे' पच्छद्धं / 'चरणाणवट्ठितों पुणो पुणो चरणाओ पडति / एरिसस्स सुत्तं देति ह्व / अत्थं देति ह्वा / गणाणवट्ठिओ गाणंगणिओ / सो उवरिं सपच्छित्तो भण्णिहित्ति / तम्हा एतद्दोसविमुक्कस्स अवट्ठितस्स दायव्वं / ण देइ, तं चेव पच्छित्तं / अवट्ठिते त्ति दारं गतं / इदाणि मेहावि त्ति दारं / जो मेहावी तस्स दायव्वं / सो तिविहो उग्गहण धारणाए, मेराए चेव होइ मेधावी। तिविहम्मि अहीकारो, मेरासंजुत्तों मेहावी // 762 // "उग्गहण" गाधा / एत्थ अट्ठ भंगा / जत्थ जत्थ मेरामेहावी ण भवति तत्थ तत्थ ण दायव्वं / जइ देइ ६पासत्थादीणं 4 / अहाछंदे 4 / सेसाण य अदाणे सुत्तस्स 4 / अत्थस्स ह्या। को पुण मेरामेहावी ? उच्यते-मेरासंजुत्तो / मेरा सीमा मर्यादा चारित्रमित्यनर्थान्तरं / त्रिविधेनाप्यधिकारो दाने चादाने च / इयाणि अपरिस्सावी य त्ति, दारं / अपरिस्सावियस्स दायव्वं परिस्सावियस्स न वि। 1. भणंतेण पा० / 2. हाविज्जति पा० / 3. लिंगाणव० पू० 1-2 / 4. चरणेऽण० पू० 1 / 5. ग्रहणमेधावी धारणामेधावी मर्यादामेधावी, ग्रहणमेधावी धारणामेधावी अमर्यादामेधावी इत्यादिभिस्त्रिभिः पदैरष्टौ भेदाः / टी० / 6. पासत्थाणं पू० 1 / 7-8. ०स्साइ० पू० 2 / /
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