Book Title: Bruhat Pooja Sangraha Author(s): Vichakshanashreeji Publisher: Gyanchand Lunavat View full book textPage 8
________________ - प्रवर्तिनीरत्न श्री विचक्षणश्रीजी महाराज रत्नगर्भा वसुन्धरा वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए आज से लगभग ६८ वर्ष पूर्व अमरावती (महाराष्ट्र) में आपाढ वदी एकम सं० १६६६ को मृथा कुल में, पिता श्री मिश्रीमलजी व माता रूपादेवी की कुक्षी से दाखीवाई का जन्म हुआ। पिता व माता के नाम के अनुरूप गुण को धारण करती हुई अर्थात् मिश्री सी मीठी तथा रूपावाई नाम सहश रूपवती वाला को देख माता ने इनका नाम दाखोबाई रखा। इन्हें देख कोई सहज ही इनके उच्च जीवन की कल्पना कर सकता था, पर यह दीपक विश्व का आलोक बन जायेगा, ऐसा तो किसी की कल्पना में भी न आया होगा। विराटशक्ति सम्पन्न यह देवी भारत माँ को गौरवान्वित बना हजारों की श्रद्धा सम्पादित करती हुई इतिहास की अविछिन्न शृंखला में कड़ी बन स्वयं भी जुड़ जायेगी, जिसको सदियों तक सुरक्षित रखने में इतिहास भी सावधान रहेगा, ऐसा कितने विचारा होगा। दाखी बाई ने नव वर्ष की अल्प आयु में माता रूपा देवी के साथ खरतर गच्छ में पू. सुखसागर जी म. सा. के समुदाय में पू०प्र० श्री पुण्यश्रीजी म. सा. की शिष्या बनी एवं श्री जतनः श्रीजी म० सा० से पीपाड राजस्थान मूल वतन में अनेक प्रकारPage Navigation
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