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सं० २०३७ बैसाख शुक्ला ४ ता० १८ अप्रेल १६८० को आपका समाधिपूर्वक स्वर्ग गमन जयपुर मे हो गया। जिसकी सूचना टेलीफोन एवं तार द्वारा प्राप्त होते ही पूरे जैन समाज में शोक छा गया। हजारों की संख्या में दूसरे स्थानों से भक्तजन आपके अन्तिम संस्कार के लिये जयपुर पहुंचे। अन्तिम संस्कार के समय आँखों मे आँसू लिए १५-२० हजार व्यक्ति इकट्ठे हुए । पूरे भारत के विभिन्न शहरों व गांवों मे श्रद्धांजलि सभाएँ हुई । अनेकों स्थानों में आपश्री को पुण्य स्मृति में अट्ठाई महोत्सव व पूजाएँ हुई ।
प्रवर्तिनीजी श्री विक्षणश्रीजी जैन समाज के लिये ज्योति थे, प्रकाश थे, प्रेरणा थे। उनकी जैन शासन सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकता ।