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११२ भमरागीत
भविष्यभविष्याचौपाई
भुवनदीपक अपरनाम ग्रहभावप्रकाश पार्श्वधरणेन्द्रस्तुति
प्रमाणनयतत्त्वालोक
बृहद्गच्छ का इतिहास मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु-गूर्जर,
जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृ० ५५-६५. मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु-गूर्जर, जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ ५५-६५ तथा भाग ३, पृष्ठ ३६२ और आगे; श्रमण, वर्ष २८, अंक ३, पृष्ठ २१-२४ पद्मप्रभसूरि (वादिदेवसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० तेरहवीं शताब्दी प्रथम चरण, प्रकाशित. वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), जैनसत्यप्रकाश, वर्ष ३, अंक १०-१२ पृ० ३७५-३८३. वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, संपादिका-साध्वी महायशाश्रीजी, प्रका० ऊँकारसूरि ज्ञानभंडार, सुरत २००३ ई. मालदेव, (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु-गूर्जर, वि० सं० १७वीं शताब्दी, जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ ५५६५, भाग ३, पृष्ठ ३६२ और आगे. वर्धमानसूरि (अभयदेवसूरि के शिष्य), प्राकृत, वि० सं० ११४०, जिनरत्नकोश, पृ० ३०१. जयमंगलसूरि (रामचन्द्रसूरि के शिष्य) संस्कृत, वि० सं० १३१०, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका ५०५. मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु-गूर्जर,
जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ ५५-६५, भाग ३, पृष्ठ ३६२ और आगे. वही
भोजप्रबन्ध, पद्य २०००
मनोरमाचरित्र
महावीरजन्माभिषेककाव्य
महावीरपंचकल्याणकस्तवन, गाथा २८
महावीरपारणा मालशिक्षाचउपई
वही
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