Book Title: Bruhad Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 188
________________ प्रशस्तियों के आधार पर निर्मित पूर्णिमागच्छ (प्रधानशाखा) के मुनिजनों का वंशवृक्ष Jain Education International तालिका -१ अध्याय-७ जयसिंहसूरि जयप्रभसूरि (वि०सं० १५२०-१५५१) प्रशस्ति यशस्तिलकसरि भुवनप्रभसूरि (वि०सं० १५२७-१५२९) प्रशस्ति (वि०सं० १५६५-१५६६) प्रशस्ति जयमेरुसूरि (वि०सं० १५५१) प्रशस्ति कमलप्रभसूरि राजसुन्दरसूरि (वि०सं० १५६६) प्रशस्ति रत्नमेरुसूरि (वि०सं०१५७४ में आदिनाथमहाकाव्य के प्रतिलिपिकार) कमलसंयमसूरि (वि०सं० १५५३ में इनके सान्निध्य में पाक्षिकसूत्रअवचूरि की प्रतिलिपि की गयी) वीरकलशसूरि (वि०सं० १५५५ में स्नात्रपंचाशिका के प्रतिलिपिकार) For Personal & Private Use Only पुण्यप्रभसूरि (वि०सं० १५९०-१६११) दाताप्रशस्ति राजमाणिक्य (वि०सं० १५७४ में वत्सकुमारकथा के प्रतिलिपिकर्ता) विद्याप्रभसूरि (वि०सं० १६२४) प्रतिलेखनप्रशस्ति ललितप्रभसूरि (वि०सं० १६५०-१६७७) दाताप्रशस्ति विनयप्रभसूरि (वि०सं० १७१४-१७२२) प्रतिलेखनप्रशस्ति महिमाप्रभसूरि (वि०सं० १७३६) प्रतिलेखनप्रशस्ति कीर्तिरत्न (वि०सं० १७१४ में प्रतिलिपित उत्तराध्ययनसूत्र की दाताप्रशस्ति में उल्लिखित) हेमराजसूरि (वि०सं० १६९८) प्रतिलेखनप्रशस्ति सहजरत्नसूरि (वि०सं० १७६१) प्रतिलिपिप्रशस्ति भावप्रभसूरि (वि०सं०१७८१-१७९३) भावरत्नसूरि (वि०सं०१७६२-१७९२) मुनिलाल (वि०सं० १७६७-१७९१) www.jainelibrary.org १७९

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