Book Title: Bruhad Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 259
________________ २५० बृहद्गच्छ का इतिहास (१८७) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी : ॥ संवत् १५१० वर्षे माघ सुदि ५ दूगड़गोत्रे सा० सीहा भा० इदी पु० सहदे साऊँ सोढा सहजा सलखा तेषु सहदेव गौरीपुण्यार्थं कुन्थुनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीअमरप्रभसूरिपट्टे श्रीरत्नचन्द्रसूरिभिः ॥ (१८८) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी : सं १५१० वर्षे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० भीमसी भा० हरखूसुत आल्हाकेन भा० कउतिगदे सुत सहिसा शिवदासलखराजादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीपद्मप्रभबिंबं का०प्र० वडगच्छे श्रीपूर्णचन्द्रसूरिभिः ॥ (१८९) पद्मप्रभ-पंचतीर्थी : ॥ संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ गुरौ श्रीहंगडगोत्रे सा० श्रीपोपासंताने सं० अर्जुनभार्या सखणी पु०सं० सिवराज सु० धनराज भार्या० सालिगही सुतेन भावदेवेन भा० वीरी पु० जगमलयुतेन श्रीपद्मप्रभस्वामिबिंबं का०प्र०बृ० श्रीमहेन्द्रसूरिपट्टे श्रीरत्नाकरसूरिभिः शुभम् ॥ (१९०) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी : संवत् १५११ वर्षे ज्ये०सु० ३ गुरौ दिने ऊ० ज्ञातीय श्री वरलद्धगोत्रे नाथु संताने राजा भार्या राजलदे सुत सह सावलू राणा हुदा श्री मल्लयुतौ पितृ मातृ श्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामी बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री बृहद्गच्छे श्रीमुनिशेखरसूरिसंताने श्रीमहेन्द्रसूरि श्री श्री श्री रत्नाकरसूरिभिः शुभं ॥ (१९१) अजितनाथ-पंचतीर्थी : सं० १५१२ व०वै०शु० १० सोमे उसवंशे लोढागोत्रे सा० चाहड़ भार्या देल्हू पु० निल्हा भा० सोनी करमी सु०सा० हासकेन भातृ सानाउ साखेऊ हासा भार्या रत्नी सु०सा० ठाकुर सा० ईसर सा० ऊँधारी प्रमुखयुतेन स्वश्रेयसे श्रीअजितनाथबिंबं का० प्रति० श्रीबृहद्गच्छे श्रीसूरिभिः प्रतिष्ठितं । १८७. महावीर मंदिर, सांगानेर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ४६६. १८८. चन्द्रप्रभजी का मंदिर, जानी शेरी, बड़ोदरा, जै०या०प्र०ले०सं०, भाग २, लेखांक १५४. १८९. माणिकसागर जी का मंदिर, कोटा, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ४७१. १९०. संभवनाथ का मंदिर, अजीमगंज, जै० ले०सं०, भाग १, लेखांक २३. १९१. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ६११. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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