Book Title: Bruhad Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 272
________________ २६३ बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२५०) आदिनाथ-पंचतीर्थी : संवत् १५७२ वर्षे वैशाख सुदि ५ सोमे ऊ०ज्ञा० फूलपगरगोत्रे सा० दधीरथ पु०सा० धर्मा भा० २ पाबू साल्ही पाबू -------- पु० जांजा भा० पूरी -------- --- पुत्र मोकल प्रमुख समस्त कुटुम्बेन स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्र० श्री वडगच्छे श्रीश्री चंद्रप्रभसूरिभिः ॥ श्री ॥ जावर वास्तव्य ॥ (२५१) चन्द्रप्रभ-पंचतीर्थी : संवत् १५८१ वर्षे वैशाख वदि ५ गुरौ ओसवाल ज्ञा० साह रत्ना भा० रत्नादे पुत्र वाघा सौधलगोत्रे भा० पूतली आत्मश्रेयसे पितृनिमित्तं श्रीचंद्रप्रभबिंब का० श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीदेवकुंजरसूरिपट्टे श्रीदेवेन्द्रसूरि प्रतिष्ठितम् ॥ (२५२) स्तम्भलेख ___ संवत् १६१३ वैशाख सुदि ९ दिने श्रीबृहद्गच्छे भट्टारक श्री ७ पुण्यप्रभसूरि तत्शिष्य मुनिविजयदेवः श्रीनेमिनाथः प्रणमिति ॥ वक्रेतरचेतसा यात्रा कृता सफला भवतु ।। नित्यं पुनरपि दर्शनमस्तु मंगलं श्री । (२५३) शिलालेख ॥ संवत् १६१३ वर्षे वैशाष (ख) सुदि ८ दिने श्रीवृ(बृ)हद्गच्छे भट्टारकश्री ७ पुरण (पूर्ण) प्रभसूरि तत्सिक्ष (च्छिष्य) मुनिविजयदेवेन यात्रा कृता सफला भवतु ॥ (२५४) पार्श्वनाथ-पंचतीर्थी : संवत् १६३९ वर्षे चैत्र वदि ११ भूमे खरदूथ भा० भीऊ पुत्र सोमा महरा स्वश्रेयोऽर्थं श्रीपार्श्वनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीउदयसिंहसूरिभिः वडगच्छे ॥ २५०. पंचायती मंदिर, लस्कर, ग्वालियर, जै०ले०सं०, भाग २, लेखांक १३८६. २५१. जैन मंदिर, ऊंझा, जै० धा०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक १८३. २५२. लूणवसही, आबू, अ० प्रा० जे०ले० सं०, (आबू - भाग २)लेखांक ३८९. २५३. विमलवसही, आबू, वही, लेखांक १९९. २५४. शांतिनाथ जी का मंदिर, चोकसीपोल, खंभात, जै० धा०प्र०ले० सं०, भाग २, लेखांक ८४७. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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