Book Title: Bruhad Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 268
________________ २५९ बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय (२३२) महावीर-पाषाण सं० १५३६ वर्षे फागुण सुदि ३ दिने श्रीवरहुडिया गोत्रे सा० खीमा पुत्र स० धरमा भार्या --------- सा० खीमा पु०सा० माडा० देऊ पुत्र गढमल्ल धरमा नाम्ना निजभार्या पुण्यार्थं श्रीमहावीर बिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीमेरुप्रभसूरिभिः।। (२३३) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी : ॥ संवत् १५३७ वर्षे ज्येष्ठ वदि ४ भोमे बगलथिआण श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० सोमिल भा० सहजलदे द्वि० सोनलदे पु० सांगा भार्या रतनादे पुत्र खेता खीमा पुण्यार्थं श्रीकुन्थुनाथबिंबं कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीसोमसुन्दरसूरिभिः -------------|| (२३४) शांतिनाथ-पंचतीर्थी : संवत् १५३८ वर्षे ज्येष्ठ शुक्लपक्षे दशमीतिथौ शुक्रे श्रीमालीज्ञातीय- चहचइयागोत्रे मा० दवा० भा० दीलु पुत्र सुरा भा० मंदोयरि पु० देवण बाभा भाथा रूयु । टे । काजिरराज बालाकेन स्वपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० श्रीबृहद्गच्छेराश्रीमाणिकसुंदरसूरिभिः ॥ (२३५) ......... पंचतीर्थी : संवत् १५३९ वर्षे ---------- गुर्जरज्ञातीय व्य० वना पुत्र तेजाकेन पुत्र झांझण -------- श्रीबृहद्गच्छे प्र० श्रीगुणप्रभसू० प्रतिष्ठितं श्रेयनिमित्तं ॥ (२३६) मुनिसुव्रत-पंचतीर्थी : ॥ संवत् १५४२ वर्षे वैशाख वदि ९ शुक्रे उपकेशज्ञा० सिंघाडियागोत्रे सं० रेडा सं० सा० ऊदा भार्या ऊदलदे पु०सा० छाजू श्रीमल जिणदत्त पारसयुतेन आ०पु० श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का०प्र० ॥ श्रीबृहद्गच्छे भ० श्रीमेरुप्रभसूरिभिः ॥ श्रीः ॥ श्रीः ॥ २३२. अष्टापद जी का मंदिर, जैसलमेर, बी० जै० ले०सं०, लेखांक २७२१. २३३. आदिनाथ मंदिर, चाडसू, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८१२. २३४. देरी क्रमांक १८२, शत्रुजय, श०गि०द०, लेखांक १८२. २३५. महावीर मंदिर, सांगानेर, प्र०ले० सं०, भाग १, लेखांक ८२०. २३६. नया मंदिर, जयपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ८२८ तथा प्र०ले०सं०, लेखांक ४८५. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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