Book Title: Bruhad Gaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat
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बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय
२२१ सूरिसि(शिष्यः श्रीरत्नप्रभसूरि(शिष्यः श्रीजिनभद्रसूरि सि (शिष्यः श्री शांतिप्रभसूरिसि (शिष्यः श्रीरत्नप्रभसूरि (शि)ष्यः श्रीहरिभद्रसू(रि) शिष्यः श्रीपरमानन्दसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ शुभं भवतु श्रीसंघस्य कारापकस्थ देवगुरुप्रसादात् ॥ (४५) शांतिनाथ-पंचतीर्थीः
सं. १३१० ------------------- शुदि ८ शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० उदा भार्या आल्हदेवि ------------ श्रीशांतिबिंब कारितं श्रीबृहद्गच्छे श्रीमानदेवसूरिभिः।। (४६) यंत्रलेख
संवत् १३१० सत्तरीसययंत्रक (कं) बृहद्गच्छी (य) श्रीअभयदेवसूरिशिष्य श्रीजिनभद्रसूरिशिष्य श्रीशांतिप्रभसूरिशिष्य श्रीहरिभद्रसूरिशिष्य श्रीपरमाणंदसूरिभिः प्रतिष्ठित।। (४७) आदिनाथः
___ॐ । सं. १३१४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि सोमे आरासनाकरे श्रीनेमिनाथचैत्यै बृहद्गच्छीय श्रीशांतिप्रभशिष्यैः श्रीरत्नप्रभसरिपट्टे श्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीपरमानंदसूरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटान्वये श्रे० माणिभद्रभार्या माऊ पु० थिरदेव धामडभार्या कुमारदेविसुत आसचंद्र वा० मोहिणि चाहिणि, सीतू दि० भार्या लखमिणी पुत्र कुमरसीहभार्या लाडीपुत्र कडुआ पु० कर्मिणि जगसीहभार्या सहजू पु० आसिणि बाइ आल्हणिकुटुंबसमुदायेन श्रे० कुमारसीह जगसीहाभ्यां पितृ-मातृश्रेयोर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च मंगलमस्तु श्रमणसंघस्य कारापकस्य च।। शुभमस्तु ॥ (४८) शिलालेख
ॐ । संवत् १३१४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि २ सोमे आरासनाकरे श्रीनेमिनाथचैत्ये बृहद्गच्छीय श्रीशांतिप्रभसूरिशिष्य श्रीरत्नप्रभसूरिशिष्य श्रीहरिभद्रसूरिशिष्य श्रीपरमानंदसरिभिः प्रतिष्ठितं प्राग्वाटान्वय श्रे० मणिभद्रभार्या माऊपुत्र थिरदेव धामड थिरदेवभार्या रूपिणि पुत्र वीरचंदभार्या वाल्ही सु० वीदाभार्या सहजूसुत वीरपालभार्या रत्निणिसुत आसपाल बाइ ४५. भाभापार्श्वनाथ देरासर, पाटण, जै० घा०प्र० ले०सं०, भाग १, लेखांक २२६. ४६. जैन मंदिर, आरासणा, मुनि विशालविजय, आ०अ० कु०, लेखांक ७, तथा अ०प्र० जे०ले०सं०,
(आबू- भाग ५), लेखांक २५. ४७. आ० अ० कु०, परिशिष्ट, लेखांक २१. ४८. वही, लेखांक २२.
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