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निर्माण या विध्वंस
जैनागम के विद्यमान विद्वानों का सम्मान भी कम नहीं हुआ। विद्वानों की आगामी पीढ़ी तैयार करने का भी उपक्रम चल रहा है। महावीर ट्रस्ट, इन्दौर ने इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं । इस दिशा में अध्ययन करनेवालों
को उन्होंने २००/- रुपया प्रतिमास की छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है। ___जयपुर में पण्डित टोडरमल स्मारक भवन में भी इसप्रकार की व्यवस्था होने जा रही है। जिसमें भावी-पीढ़ी के लिए सुयोग्य विद्वान तैयार हो सकें।
महावीर ट्रस्ट, इन्दौर और भी अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य इस दिशा में कर रहा है; जो अनुकरणीय है। साहित्य के क्षेत्र में भारतीय ज्ञानपीठ का काम अद्वितीय रहा है। उसने जैनेन्द्र सिद्धांत कोश जैसे ग्रन्थ दिये हैं। प्राकृत संस्कृत के प्राचीन शास्त्रों को भारी संख्या में नाममात्र के मूल्य में जन-जन तक पहुँचाने का जो काम सोनगढ़ कर रहा है, वह भी अनुकरणीय है।
सामाजिक क्षेत्र में दिगम्बर जैन परिषद् की सक्रियता फिर बढ़ रही है। सर्वाधिक सक्रियता भगवान महावीर की २५ सौवीं निर्वाण महोत्सव समितियों की रही है; जो अब दिगम्बर जैन महासमिति के रूप में परिवर्तित हो गई हैं।
जहाँ एक ओर समाज के प्रत्येक क्षेत्र में शांतिपूर्ण अहिंसक क्रांति हो रही है; वहीं दूसरी ओर कुछ निहित स्वार्थ अपनी नेतागिरी और पण्डिताई खतरे में पड़ती देख एकदम बौखला गये हैं । वे एकदम उच्छृखल हो उठे हैं, न उनकी वाणी एवं लेखन में संयम रहा है और न आचरण में । अहिंसक व्यक्ति निर्माण की ओर न बढ़कर विध्वंस की ओर मुड़ गये हैं। मन्दिरों में से शास्त्रों को हटाना, जलाना, पानी में डुबाना आदि विध्वंसक प्रवृत्तियों में उलझ गये हैं।
सोचा था सामाजिक नेताओं, मुनिराजों, विद्वानों की अपीलों से उन्हें कुछ सद्बुद्धि प्राप्त होगी; पर वे अपील निकालनेवालों को भी कोसने लगे हैं। घोषणा कर रहे हैं, प्रतिज्ञायें दुहरा रहे हैं कि जहाँ भी हमारा वश चलेगा जिनवाणी को जलायेंगे, पानी में बहायेंगे। अब तो वे यहाँ तक बढ़ चुके हैं कि दिगम्बर जैन समाज से समाज के एक बहुत बड़े भाग को बहिष्कृत करने की घोषणायें कर रहे हैं। __उन्हें यह पता नहीं है कि युग कितना बदल गया है। बहिष्कार वाली बातें आज नहीं चल पावेंगी। कहीं दूसरों का बहिष्कार करने चलें और स्वयं ही