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जिनवाणी सुरक्षा आन्दोलन की संक्षिप्त रुपरेखा पर हमारा इतना भाग्य कहाँ था कि हमें इस कठिन घड़ी में उनकी छत्रछाया उपलब्ध रहती ? उनके मार्गदर्शन में हम सबने बड़े से बड़े संकट पार किए हैं। इस संक्रान्तिकाल में उनकी छत्रछाया समाप्त हो जाना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसे हमें हिम्मत के साथ स्वीकार करना है और पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य को निभाना है।
जिनशासन की प्रभावना, जीवन्त तीर्थ जिनवाणी की सुरक्षा एवं सामाजिक एकता के सन्दर्भ में उनकी सराहनीय सेवाओं एवं अभूतपूर्व उपलब्धियों का मूल्यांकन हम विशेषांक के माध्यम से स्वतंत्र रूप से करेंगे। ___ उनकी स्मृति में पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट ने उनकी तृतीय मासिक पुण्यतिथि २२ अगस्त, १९८५ से २६ अगस्त, १९८५ तक एक पंचदिवसीय कार्यक्रम रखा है; जिसमें पूजन विधान के साथ-साथ प्रवचन आदि के कार्यक्रम भी रखे गए हैं। ___ इसी अवसर पर उनकी स्मृति में जैनपथ प्रदर्शक का एक विशेषांक भी प्रकाशित किया जावेगा। नवनिर्मित वीतराग-विज्ञान भवन का उद्घाटन भी इसी अवसर पर होगा। इस अवसर पर बाबू जुगलकिशोरजी "युगल" कोटा आदि सभी विद्वान पधारेंगे।
इसी अवसर पर पर्दूषण में भेजे जानेवाले विद्वानों की सूची को अन्तिम रूप प्रदान किया जावेगा और तबतक उत्पन्न सामाजिक स्थितियों के सन्दर्भ में "जिनवाणी सुरक्षा एवं सामाजिक एकता आन्दोलन" के आगामी कार्यक्रमों को भी अन्तिम रूप दिया जावेगा। इस सन्दर्भ में तबतक किए गये हमारे प्रयासों की स्थिति का भी मूल्यांकन किया जावेगा।
इस अवसर पर आवास एवं भोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था निःशुल्क रहेगी। हमारा विश्वास है कि आ. विद्वद्वर्य बाबूभाई में श्रद्धा रखनेवाले, उनके अभाव में तत्त्वप्रचार-प्रसार की गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालन में रुचि रखनेवाले एवं हमारे इस आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने वाले आत्मार्थी बन्धु इस अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में अवश्य पधारेंगे।