Book Title: Bikhare Moti
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 228
________________ बिखरे मोती दरअसल, सवाल यह है कि राम की जो अयोध्या थी, वह कोई १००-५० मीटर की नहीं थी । जैन शास्त्रों के अनुसार तो अयोध्या १२ योजन लम्बी और ९ योजन चौड़ी थी। एक योजन चार कोस का अर्थात् आठ मील का होता है। इस तरह अयोध्या ९६ मील लम्बी तथा ७२ मील चौड़ी थी। इतनी बड़ी अयोध्या में राम का जन्म कहाँ हुआ था - यह निश्चित करना सहज संभव नहीं है। 220 राम का मन्दिर तो अयोध्या में ही बने, सुन्दर बने तथा बहुत विशाल बने, लेकिन आज हमारी स्थिति यह है कि हम उस स्थान से एक इंच भी यहाँ से वहाँ होना नहीं चाहते, जिससे हमारे देश में बहुत बड़ी तकलीफ खड़ी हो गई है। यह हम सबके लिए अच्छी बात नहीं है। हमारे धर्मगुरुओं तथा हम जैसे लोगों को चाहिए कि अपनी जनता को समझाएँ कि राम के राज्य में राम के सबसे बड़े प्रतिद्वन्द्वी रावण के भाई के लिए भी स्थान प्राप्त था । वर्तमान में यदि राम का राज्य यहाँ होता तो क्या राम अन्य प्रकार की आस्थावाले लोगों के लिए अयोध्या में अपनी आस्था के स्थान नहीं बनाने देते ? प्रश्न - विवाद इस बात पर अधिक लगता है कि मन्दिर बने तो कहाँ बने ? कुछ लोग ऐसी सोचवाले भी हो सकते हैं कि मन्दिर बने चाहे न बने लेकिन ..! इस सोच में जो विवाद की स्थिति है - आप आध्यात्मिक चिन्तक होने के नाते क्या आप यह सोचते हैं कि मन्दिर उसी स्थान पर बने, जहाँ पर आग्रह है अथवा कहीं और बने, जिससे विवाद न हो ? डॉ. साहब - मन्दिर नहीं बनने का तो कोई सवाल ही नहीं है, मन्दिर तो बनना ही चाहिए तथा अच्छे से अच्छा बनना चाहिए, लेकिन यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि इसके साथ सारे देश की आस्था और खुशियाँ जुड़ी हुई हैं। सारे देश में खून की एक बूँद भी न बहे और मन्दिर बने तो सारे विश्व में अपने देश की प्रतिष्ठा तो बढ़ेगी ही और वही राम का असली मन्दिर होगा। यदि मन्दिर खून-खराबा, दंगे-फसाद होकर बनता है तो वह राम का असली मन्दिर नहीं होगा, चाहे वह कितना भी बढ़िया और सुन्दर क्यों न बने ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 226 227 228 229 230 231 232