Book Title: Bhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Author(s): Jagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
Publisher: Vishvavidyalay Prakashan

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पण्डितराज जगन्नाथ जिसका उत्तर न दे सकनेके कारण उन्हें सम्राट अकबरके सामने नीचा देखना पड़ता था। वे दो प्रश्न थे १- जब परशुरामजीने २१ बार क्षत्रियोंका नाश करके पृथ्वीको निःक्षत्रिय कर दिया, तब आपलोग ( जयसिंहके वंशज आदि ) अपनेको क्षत्रिय कैसे कहते हैं ? २-अरबी भाषा संस्कृतसे प्राचीन है। जयसिंह इन्हें अपने साथ जयपुर ले गये। वहाँ जाते ही इन्होंने पहले प्रश्नका उत्तर तो काजियोंको यह दिया कि निःक्षत्रिय होनेका अर्थ यदि यह हो कि एक भी क्षत्रिय नहीं बचा; तो २१ बार निःक्षत्रिय पृथ्वी कैसे हुई ? एक ही बारमें निःक्षत्रिय होनेपर दूसरीबार परशुरामने किसे मारा। यदि २० बार तक कुछ न कुछ क्षत्रिय बचते रहे तो २१ वीं बार भी कुछ अवश्य ही बच गये होंगे, जिनकी सन्तान इस समय वर्तमान हो सकती है। दूसरे प्रश्नका उत्तर देनेके लिये इन्होंने समय चाहा और अरबी भाषा पढ़ी। उसके आधारपर उनके धर्मग्रन्थोंका अध्ययन करके इन्होंने काजियोंसे कहा कि तुम्हारे धर्मग्रंथ 'हदीस में लिखा है "हे मुसलमानो, हिन्दू जो मानते हैं उसका उलटा तुम्हें मानना चाहिये ।" इसके माने हुए कि तुम्हारे धर्मके प्रवर्तनसे पूर्व हिन्दू-धर्म प्रचलित था। कोई भी धर्म बिना भाषाके नहीं होता और हिन्दूधर्मकी भाषा संस्कृतसे इतर नहीं हो सकती। जब हिन्दूधर्म इस्लामधर्मसे प्राचीन है तो संस्कृत भाषा भी अरबीसे प्राचीन है, यह मानना ही पड़ेगा। इन उत्तरोंसे काजी निरुत्तर हो गये और प्रसन्न होकर राजा जयसिंहने जयपुरमें इनके लिये एक पाठशाला खोल दी और उन्होंने ही अकबरके दरबारमें इनका प्रवेश कराया। दूसरी किंवदन्ती यह है कि जब ये शानशौकतके धनी सम्राट For Private and Personal Use Only

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