Book Title: Bhagwan Mahavirna Updesh Granth Agam
Author(s): Namramuni, Gunvant Barvalia
Publisher: Parasdham
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શ્રી અનુત્તરોવવાઈ સૂત્ર
तए णं से सेणिए राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म हट्ठ तुट्ठे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता, वंदइ णमंसइ वंदित्ता गंमसित्ता
जेणेव धणे अणगारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धण्णं अणगारं तिक्खुत्तो आयाहिणं पायाहिणं करेइ करित्ता वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी
धणे सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सुपुण्णे सि णं तुम देवाणुप्पिया, सुकयत्थे सि णं तुमं देवाणुप्पिया, कयलक्खणे सि णं तुमं देवाणुप्पिया, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया तव माणुस्सए जम्मजीवियफले त्ति कट्टु वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए, तामेव दिसं पडिगए ।
આગમ
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