Book Title: Avashyakasutram Part_1
Author(s): Bhadrabahuswami, Malaygiri, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 596
________________ S णिया सुंडएहिं दंतेहिं विधइ फालेइ य, पच्छा काइएण सिंचइ, चलणेहिं मलइ १० जाहे न सका ताहे पिसायरूवं विउबइ, तेण उवसगं करेइ ११ जाहे न सक्कइ ताहे वग्घरूवं करेइ, सो दाढाहि नक्खेहिं फालेइ, खारकाइयाए । सिंचेइ १२ जाहे एवमवि न सकइ ताहे सिद्धत्थरायरूवं विउवइ, सो कलुणाणि विलवइ, एहि पुत्तगा! उज्झाहि एमाइविभासा १३ ततो तिसलारूवं विउच्चइ, तत्थवि सा चेव विभासा १४ ततो जाहे एवमवि न सका ताहे सूयं विउबइ, किह !, सो ततो खंधवारं विउवइ, सो परिपेरतेसु आवासितो, तत्थ सूयो पत्थरे अलभतो दोण्हवि पायाण मज्झे अगि जालित्ता पायाणं उवरि उक्खलियं काउं पइउमारद्धो १५ जाहे एएणवि न सक्कइ ताहे पकणं विउवइ, सो पक्कणो ताणि पंजरगाणि वाहासु गले कण्णेसु य ओलयइ, ते सउणगा भयवंतं तुंडेहिं खायंतिं विधंति सन्नं काइयं च वोसिरंति १६ ततो खरवायं विउच्वति, जेण सक्को मंदरोऽवि चालेउ, न पुण सामी चलइ, तेण आगासे उक्खिवित्ता उक्खिवित्ता पाडेइ १७ पच्छा कलंकलियावार्य विउबइ, तेण जहा चक्काइद्धतो नंदिआवत्ते वा तहा भमाडिजइ १८ जाहे एवमवि न सका ताहे कालचकं विउचइ, तं विउविऊण ऊहूं गगणतलं गंतूण एत्ताहे मारेमित्ति मुयए वजसंनिभं, मंदरंपि चूरेजा, तेण पहारेण 3 भयवं ताव निबुड्डो जाव अग्गनहा हत्थाणं १९ जाहे तेणवि न सका ताहे चिंतइ-न सक्को एस मारिति अणुलोमे | उवसग्गे करेमि, ताहे पभायं विउबइ, लोगो सबो चंकमि पयत्तो, भणइ य-देवजगा! अजवि अच्छसि ?, भयवं नाणेण जाणाइ जहा न ताव पभाइ, ततो दिवं देविहि दसेइ, भणइ य विमाणगतो-तुट्ठोमि तुज्झ भयवं! किं देमि सग्गं वा ते सरीरं नेमि? तिन्निवि लोए तुझ पाएसु पाडेमि । अन्ने भणंति-दिवं देविईि दसिता मणोरमसहरू ECREKACCI Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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